मोहाली जैसे छोटे से शहर से निकल अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने वाले पेंटर हरि सिंह
मोहाली जैसे छोटे से शहर से निकल अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने वाले पेंटर हरि सिंह

हर कलाकार की तरह हरि सिंह की ख्वाहिश थी कि वह अपने विधा में शोहरत हासिल कर बुलंदियों को छुएं और दुनिया में अपनी कामयाबी का झंडा गाड़े।

हरि सिंह को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक बार आर्टिस्ट के रूप में ख्याति मिली है और अब इनका नाम विश्वस्तरीय प्रदर्शनियों के अत्युत्कृष्ट प्रर्दशन में भी दर्ज हो चुका है। इस तरह से उनकी ख्वाहिश एक तरफ से पूरी हो गई है।

जीवन परिचय :-

हरि सिंह का जन्म 22 मई 1954 को मोहाली सीतापुर जैसे छोटे शहर में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री अमर सिंह है। लेकिन अब ये हरियाणा के गुरुग्राम शहर मे रहते है।

इन्होंने मोहाली जैसे शहर से निकल कर अंतराष्ट्रीय स्तर पर पेंटिंग के क्षेत्र में अपनी अलग ही पहचान बना ली है। इन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियों में भाग लिया है जहाँ पर इन्होंने लाइव डेमो और शो केस पेंटिंग प्रदर्शनियों में भाग लिया करते है।

हरिसिंह की बनाई गई वाटर पेंटिंग को दो बार अंतराष्ट्रीय जल रंग सोसायटी( International Water Colour Society) द्वारा चयनित हो चुकी है। इनकी बनाई पेंटिंग IFACS और IGNC दिल्ली मे प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया जा चुका है।

इन्होंने पूरे भारत मे विभिन्न गुरुद्वारों में भी अपने अपनी पेंटिंग कला का प्रदर्शन किया है, यही नही भारत के बाहर के गुरुद्वारे मे भी इनकी पेंटिंग कला के प्रदर्शन देखने को मिल जाता है। इनकी पेंटिंग को पाकिस्तान में स्थित सुप्रसिद्ध गुरुद्वारा ननकासहिब मे भी देखा जा सकता है।

ये अपनी पेंटिंग को कई मीडियम से बनाते है, जैसे ऑइल पेंटिंग, वाटर कलर पेंटिंग, कागज के कैनवास पर पेंसिल और चारकोल पेंटिंग बनाना।

हरि सिंह मोहाली जैसे बेहद छोटे कस्बे से निकलकर देश ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी एक अलग ही पहचान बना ली है।

हरि सिंह ने विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर 3 जून 2018 को दिल्ली के कनॉट प्लेस में शिवाजी स्टेडियम में कलाकार फाउंडेशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम “एक पेड़ – एक जिंदगी” विषय पर वाटर कलर प्रतियोगिता में भाग लिया था।

यह प्रतियोगिता भी गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड की निगरानी में आयोजित हो रही थी। इस आयोजन का मकसद लोगों के मन में प्रकृति प्रेम को जागरूकता लाना था। इस प्रतियोगिता में देशभर से 1145 आर्टिस्टो ने सहभागिता की थी और सभी ने अलग अलग पेंटिंग तैयार की थी।

हरि सिंह ने भी ख्याति प्राप्त आर्टिस्ट महुआ सिन्हा के साथ अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया और बेजोड़ पेंटिंग बनाई। इस आयोजन के संबंध में कहा गया कि एक निश्चित समय में एक साथ एक स्थान पर एक ही विषय पर अलग-अलग पेंटिंग बनाने के को लेकर चीन के रिकॉर्ड को तोड़ने की बात कही गई है।

हरि सिंह ने इसके लिए 45 साल तक कला की साधना की है। पहले वाला एक गुमनाम जिंदगी जी रहे थे। उसके बाद उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है।

उन्होंने अपने इस पेंटिंग के शौक के लिए अपनी नौकरी तक को छोड़ा दिया, यहाँ तक कि अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया था।

तत्त्व अन्वेषक समीक्षक कला के अवतार से हैं।
चित्र वृत्ति प्रवृत्ति अनुपम सुरति सहज श्रृंगार से है।।
सरसवाणी हर्षमय छवि दार्शनिक व्यवहार से हैं।
बार बार प्रणाम आठो याम चित्राधार से हैं।।

कवि : शेष मणि शर्मा “इलाहाबादी”

बता दें कि हरि सिह द्वारा बनाई गई दुर्लभ पेंटिंग को देखने के लिए देश की राजधानी नई दिल्ली में समय-समय पर प्रदर्शनी लगती रहती है।

इसके अलावा आईटीआई पेंटर एंड आर्ट एंड क्राफ्ट डिप्लोमा के छात्र एवं युवा कलाकारों को मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए डॉ राजेंद्र जांगड़ा और अभिमन्यु सोनी के द्वारा लिखी गई किताब कला दर्पण में हरि सिंह की पेंटिंग का जिक्र किया गया है और इसमे इनकी पेंटिंग्स को भी प्रकाशित किया गया है। इस तरह से युवा कलाकारों को मार्गदर्शन देने के लिए उनके स्लेबस में हरि सिंह की पेंटिंग को शामिल करना उनके लिए एक बड़ी उपलब्धि जैसे है।

हरि सिंह ने साबित कर दिया कि मेहनत और लगन के दम पर अपनी मंजिल को पाया जा सकता है, फिर चाहे हम किसी छोटे से ही शहर से क्यों न ताल्लुक रखें, हम अपने सपनो को जी कर अपनी ख्याति बना ही लेते हैं।

हरी सिंह जी की कुछ पेंटिंग्स :

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