जी ले नाटिका

जी ले | नाटिका

पात्र परिचय :
1) समाज सुधारक कम बिजनेसमैन धर्म बिश्नोई जी उम्र 40 वर्ष
2) एस.पी उम्र 35 वर्ष
3) पुलिस कमिश्नर उम्र 50 वर्ष
4) ओटा (अफ्रीकी विद्यार्थी ) उम्र 20 वर्ष
5) जयंती (मणिपुरी विद्यार्थी) उम्र 20 वर्ष
6) किशोरी( विलेज गर्ल) उम्र 21वर्ष
7) सुशील (विद्यार्थी ) उम्र 21 वर्ष
8) नव्या (वर्किंग गर्ल) उम्र 25 वर्ष
9) मधु (वर्किंग बॉय) उम्र 25 वर्ष
10) ईशान( कंप्यूटर सॉफ्टवेयर डेवलपर करोड़ का पैकेज) उम्र 27 वर्ष
11) शालू उम्र 26 वर्ष
12) अर्जुन (बेरोजगार) उम्र 26 वर्ष
13) गार्ड उम्र 28 वर्ष
14) लेडी पुलिस ऑफिसर
15) ड्राइवर उम्र 25वर्ष

मंच व्यवस्था: हंसराज कॉलेज का बॉयज हॉस्टल। रूम नंबर 33 पुलिस अफसर,समाज सुधारक धर्म बिश्नोई जी ( सफेद पेंट और सफेद शर्ट में)+(पुलिस वर्दी में सर पर टोपी लगाए हुए) पुलिस अफसर रूम नंबर 33 के दरवाजे पर ” खट खट” अंदर से नो रिस्पांस
एक बार फिर से दरवाजे पर “खट खट”
अब भी अंदर से नो रिस्पांस।
तीसरी बार – खट खट
फिर भी अंदर से कोई जवाब नहीं । दरवाजा नहीं खुलता।
पुलिस अफसर का इशारा (गार्ड को देखते हुए )दरवाजा तोड़ने का।” तोड़ो” गार्ड (जोर-जोर से दरवाजे पर “धम्म धम्म” दरवाजा टूट जाता है।

दरवाजा टूटने पर पुलिस ऑफिसर और धर्म बिश्नोई जी का कमरे में प्रवेश।
अंधेरा।छोटा सा रूम। अस्त व्यस्त। बेड पर एक विद्यार्थी अफ्रीकी औंधे मुंह पड़ा है।
पुलिस अफसर उसे जगाने के लिए उसको सीधा करता है तो लड़के के मुंह से झाग सा निकल जाता है । ( काला रंग नुकीले सफेद दांत, अत्यधिक घुंघराले रुखे सुखे बाल बिखरे हुए) बेहोश।
पुलिस ऑफिसर, धर्म बिश्नोई जी और गार्ड की सहायता से उसे उठाता है और बाहर खड़ी पुलिस गाड़ी में लिटा देता है। ड्राइवर – “घरर्र…घर्रेर।
प्रकाश मंद

दृश्य परिवर्तन

पुलिस ऑफिसर और धर्म बिश्नोई जी मिरांडा हाउस कॉलेज के हॉस्टल के कमरा नंबर 22 पर खड़े हैं। पुलिस ऑफिसर दरवाजे पर ” खट खट ” अंदर से नो रिस्पांस। पुलिस ऑफिसर एक बार फिर से दरवाजे पर ” खट खट “
अभी भी अंदर से नो रिस्पांस तो पुलिस ऑफिसर और गार्ड को इशारे से दरवाजा तोड़ने को कहते हैं ।” तोड़ो” गार्ड दरवाजे पर जोर जोर से ” धम्म धम्म” दरवाजा टूट जाता है।

कमरे में पुलिस ऑफिसर, धर्म बिश्नोई जी और लेडी पुलिस ऑफिसर का प्रवेश ।रूम अस्त व्यस्त । सिगरेट के छोटे-छोटे टुकड़े बेड के नीचे बिखरे पड़े हैं । लड़की ( मणिपुरी लड़की कम ऊंचाई, दुबली पतली ,रंग साफ, चेहरा गोल ,आंखें धंसी हुई) नशे में धुत्त और सोई पड़ी है। लगता है स्मैक भी ले रखी है। पुलिस ऑफिसर लेडी ऑफिसर को इशारा करते हैं। लेडी ऑफिसर लड़की को गोद में उठाकर बाहर पुलिस की गाड़ी में लिटा देती है।ड्राइवर_” घरर …घरर”

दिल्ली यूनिवर्सिटी डी.टी.यू . का बॉयज हॉस्टल । रूम नंबर 11 पर पुलिस ऑफिसर , धर्म बिश्नोई जी और गार्ड खड़े हैं । पुलिस ऑफिसर दरवाजे पर ” खट खट।” अंदर से नो रिस्पांस। पुलिस ऑफिसर एक बार फिर से दरवाजे पर जोर से ” खट खट “
फिर से अंदर से नो रिस्पांस । पुलिस ऑफिसर गार्ड को इशारे से दरवाजा तोड़ने को कहते हैं । ” तोड़ो”
गार्ड जोर-जोर से दरवाजे पर “धम्म धम्म” दरवाजा टूट जाता है। तीनों का रूम के अंदर प्रवेश। रूम अस्त व्यस्त। शराब की बोतल टूटी पड़ी हैं। किताबें बिखरी पड़ी हैं।कपड़े उल्टे पुलटे गंदे । खाना टेबल पर पड़ा है । बेड पर सुशील ( कद काठी लंबा पतला ,चेहरा अंडाकार ,नैन नक्श ती खे, रंग गेहुआं ,सर पर खुली हुई चोटी) लड़का करवट लेकर पड़ा है । छूने पर पता चला वह बेहोश है । और किसी नशे की गिरफ्त में है। पुलिस ऑफिसर उसे गार्ड की सहायता से गोद में उठाते हैं और बाहर खड़ी पुलिस गाड़ी में लिटा देते हैं। ड्राइवर”घर्रर घर्र ।”

वसंत विहार सोसाइटी। फ्लैट नंबर 604 के दरवाजे पर पुलिस ऑफिसर,लेडी पुलिस , धर्म बिश्नोई जी और सोसाइटी गार्ड खड़े हैं। पुलिस ऑफिसर दरवाजे पर ” खट खट” अंदर से नो रिस्पांस ।पुलिस ऑफिसर एक बार फिर से दरवाज़े पर ” खट खट”
फिर से अंदर से नो रिस्पांस ।अब पुलिस ऑफिसर गार्ड को दरवाजा तोड़ने का इशारा करते हैं। ” तोड़ो” गार्ड “डम डम डम” दरवाजा टूट जाता है । तीनों का फ्लैट में प्रवेश ।फ्लैट अस्त व्यस्त ।

किचन में बर्तन गंदे, बिखरे हुए।कपड़े चारों तरफ बिखरे पड़े हैं। लड़की सोफे पर पड़ी है। बहुत ही कमजोर और जर्जर हालत में। लगता है बहुत दिनों से कुछ खाया पिया नहीं है ।नशा करके पड़ी हुई है। टेबल पर एक के साथ एक फ्री दारू की बोतल का बिल पड़ा है । पाउच पड़े हैं। जिस पर लिखा है _ “बॉय वन गेट वन फ्री” अन्य बॉटलें भी खाली पड़ी हैं।

पुलिस ऑफिसर लेडी पुलिस को इशारा करते हैं और लड़की को उठाकर लेडी पुलिस लिफ्ट से नीचे ले जाती है और गाड़ी में लिटा देती है । ड्राइवर _”घर्रे घरर् गर्र…”

कमला नगर मार्केट में बॉयज पी .जी कमरा नंबर 101पर पुलिस ऑफिसर ,धर्म बिश्नोई जी और गार्ड खड़े हैं। पुलिस ऑफिसर दरवाजे पर ” खट खट।” अंदर से नो रिस्पांस ।पुलिस ऑफिसर एक बार फिर से दरवाजे पर ” खट खट”
फिर से नो रिस्पांस।
अब पुलिस ऑफिसर गार्ड को दरवाजा तोड़ने का इशारा करते हुए “तोड़ो” गार्ड “धक धाम धाम” दरवाजा निकल जाता है। तीनों का रूम में प्रवेश। रूम में घुप्प अंधेरा।बेहद गंदा ।बदबूदार। शराब, सिगरेट तंबाकू ,सब के अवशेष बिखरे पड़े हैं। एक दुबला पतला सा सांवला लड़का मधु मरने की कगार पर चित्त पड़ा है ।आंखें लाल हैं। पुलिस ऑफिसर गार्ड की मदद से उसे गोद में उठाकर बाहर खड़ी गाड़ी में जाकर लिटा देते हैं। ड्राइवर” घरर घरर…”

लाजपत नगर गीता टॉवर ।फ्लैट नंबर 404
पर पुलिस ऑफिसर, धर्म बिश्नोई जी और गार्ड खड़े हैं । पुलिस ऑफिसर दरवाजे पर “खट खट” अंदर से नो रिस्पांस पुलिस ऑफिसर एक बार फिर से दरवाजे पर” खट खट”
फिर से अंदर से नो रिस्पांस ।अब पुलिस ऑफिसर गार्ड को दरवाजा तोड़ने का इशारा देते हैं।
गार्ड “धक धक धक”
दरवाजा टूटता है। तीनों का कमरे में प्रवेश। कमरा अस्त व्यस्त । अंधकार ।
धर्म विश्नोई जी मोबाइल की टॉर्च जलाते हैं।टेबल पर कंप्यूटर ,लैपटॉप, मोबाइल ,हेडफोन, ईयरफोन सब टूटे-फूटे पड़े हैं । लड़का ईशान का वर्किंग एंप्लॉयमेंट कार्ड टेबल पर पड़ा है। जिस पर लिखा है कंप्यूटर सॉफ्टवेयर डेवलपर।
ईशान सुंदर गोल चेहरा। रंग गोरा, लंबा। फूले फूले सोफे पर औंधे मुंह पड़ा है। पुलिस ऑफिसर उसे पकड़ कर सीधा करते हैं। तो वह निढाल होकर लुढ़क पड़ता है । पुलिस ऑफिसर गॉर्ड की मदद से ईशान को उठाते हुए नीचे पुलिस गाड़ी में ले जाकर लिटा देते हैं। ड्राइवर “घर्र गर्र गर्र..”

करोल बाग। वूमेन वर्किंग हॉस्टल ।रूम नंबर 505 पर पुलिस ऑफिसर, धर्म बिश्नोई जी और लेडी पुलिस ऑफिसर खड़े हैं । पुलिस ऑफिसर दरवाजे पर “खट खट” अंदर से नो रिस्पांस। पुलिस ऑफिसर फिर से एक बार ” खट खट” फिर से अंदर से नो रिस्पांस।

अब पुलिस ऑफिसर और बिश्नोई जी गार्ड की सहायता से दरवाजे को तोड़ते हैं ।_ “धम्म धम्म धम्म “
दरवाजे टूटने पर रूम में सभी का प्रवेश । रूम अस्त व्यस्त ।कानून की किताब संविधान टेबल पर रखी हुई है । अनेक लीगल डॉक्यूमेंट की फाइलें टेबल पर रखी हुई हैं । कुछ पेपर बिखरे पड़े हैं ।

लैपटॉप और मोबाइल है बट अनचार्जड हैं । शालू लड़की भारी भरकम शरीर, मीडियम कद। रंग सांवला। बेहोश । छूने से पता चलता है कि स्मैक ले रखी है। सिगरेट अत्यधिक पी रखी है। होश में है ।पर बोलने में असमर्थ। पुलिस ऑफिसर लेडी ऑफिसर को इशारा “उठाओ” लेडी ऑफिसर” शालू को उठाकर लिफ्ट से नीचे ले जाती हुई और पुलिस की गाड़ी में लिटाती हुई।
ड्राइवर (गाड़ी चलाता है) -“घर्र गर्र.”

करोल बाग । स्टूडेंट पी. जी रूम नंबर 606 पर पुलिस ऑफिसर ,गार्ड और धर्म बिश्नोई जी खड़े हैं ।पुलिस ऑफिसर दरवाजे पर” खट खट ” अंदर से नो रिस्पांस । पुलिस ऑफिसर एक बार फिर से दरवाजे पर” खट खट।
फिर से नो रिस्पांस। अब पुलिस ऑफिसर “गार्ड को दरवाजा तोड़ने का इशारा”
गार्ड दरवाजे पर”धक-धक धाम धाम” रूम में सभी का प्रवेश। रूम में अंधेरा। सभी खिड़कियां बंद। लाइट बंद। कोई हलचल नही। रूम बदबूदार। अर्जुन थोड़ा मोटा, मीडियम कद का। चश्मा साइड में टूटा पड़ा है । एम.बी.ए की बुक्स ।आई.आई.एम कोलकाता की।उसके हाथ पर लिखा है ” मैं बेरोजगार हूं” स्टूडेंट लोन के पेपर टेबल पर रखे हैं । शराब, सिगरेट ,अफीम, हीरोइन सब कुछ आसपास बिखरा पड़ा है। लड़के की हालत बहुत खराब। पुलिस ऑफिसर गार्ड की सहायता से अर्जुन को उठाते हैं। पुलिस गाड़ी में अंदर लिटा देते हैं। ड्राइवर गाड़ी चलाता है” गर्र गर्र गर्र।”
पर्दा गिरा।
पर्दा उठा

सूर्योदय का लाल सूरज।फिर संतरी।
कुछ देर में सुनहरा
कुछ देर में पीला,सुनहरा और उसमे सफेद किरण झांक रही।

बालू मिक्स मिट्टी भुरभुरी।
रेत के ढेर बीच-बीच में रेत उड़ता हुआ। रोड के किनारे कहीं कहीं बाजरे की बालियां ।
रोड के किनारे कहीं कहीं नीम के पेड़, कंटीली झाड़ियां
आक के पौधे।
वरना रूखी सूखी जमीन। रूखे सूखे पेड़ पत्ते। रूखे सूखे ठूंठ।

गर्मी का मौसम । गाड़ी का सफर। गाड़ी चल रही है।गाड़ी में बैठे पुलिस ऑफिसर धर्म बिश्नोई जी एक नजारा देखते हैं और ड्राइवर को बोलते हैं “गाड़ी रोको” ड्राइवर ” ब्रेक लगाकर गाड़ी रोक देता है। ” थूस्स “
धर्म बिश्नोई जी और पुलिस ऑफिसर नजारा पूरा देखते हैं।
फिर बोलते हैं _ “ड्राइवर गाड़ी चलाओ”
ड्राइवर इंजन स्टार्ट करता है” ट्रून ट्रूं ” गाड़ी रफ्तार पकड़ती है। पीछे सीट पर बैठे धर्म विश्नोई जी कविता लिखना शुरू करते हैं। गाड़ी रफ्तार पकड़ती है। इधर विश्नोई जी की मोबाइल पर उंगलियों की रफ्तार तेजी पकड़ती हैं। वे बोलते जाते हैं व कविता लिखते जाते हैं।

“ओस की बूंदे पीती बच्ची”

मरू स्थल
सुखी घास
सूखे पेड़
सुखी फसल
कटी फसल
फिर
फसल के सूखे ठूंठ

सूखी मिट्टी के खेत
अब
ओस से ढकी
हरी घास आई
बाजरे की बालियां व पत्तियां आईं।

हाइवे पर भागते ट्रक
बस,ऑटो
और गाड़ी।
गाड़ी से उतरी पांच साल की बच्ची।

अत्यधिक प्यासी,
सूखा गला
सूखे होंठ,
घास पर दौड़ी
मुलायम घासों पर
लोटती रही।
बालियों और पत्तियों पर
पड़ी ओस की बूंदों से खेलती रही।

हाथ पैर गला
पूरा शरीर गीला
ओस की बूंदे
छोटी छोटी
हथेलियों पर
उड़ेलती रही
एक पत्ते से
ओस की बूंदें
हथेली पर उड़ेली
दूसरे पत्ते से..
तीसरे से..
चौथे से..
पांचवें से..
फिर
हथेलियां होठों से
लगाकर प्राकृतिक जल पीती रही।

अब
बच्ची तृप्त हुई ,
सूखे होंठ
फिर से
मुलायम और कोमल जुबान गीली हुई।

ओस की बूंदे पीती बच्ची। 2

फिर से गाड़ी चलाते हैं। अब बोर्ड दिखता है जिस पर बड़ा बड़ा लिखा है _ “जी ले” (डिप्रेशन ओवरकम साइट पचपदरा ,बाड़मेर राजस्थान) वहीं पर पानी का बड़ा सा टैंकर खड़ा है। एक घर बना है। पर उस पर ताला लगा हुआ है। गाड़ी रुकती है। “ठुस्स” और उस के पीछे-पीछे कई पुलिस गाड़ियां आकर रुकती हैं ” थूसस, थूएस” सभी युवक, युवतियां को उतारा जाता है । पैरों में जूते ना होने के कारण और बालू अत्यधिक गरम होने के कारण वे सब जोर से उछल पड़ते हैं। उछलते उछलते, आंखों पर हाथ रखकर आसपास घर खोजते हैं। पर दूर दूर तक कोई घर नहीं दिखता। सभी युवक और युवतियां उछलते उछलते धर्म विश्नोई जी को और पुलिस ऑफिसर को ऐसे देखते हैं जैसे उनसे दया करने को कह रहे हों।“प्लीज़ हेल्प”
पुलिस ऑफिसर_” इफ यू वांट टू टेक रेस्ट। देन गो टू द शेड ऑफ कंटीली झाड़ियां । या मचान पर चढ़कर रेस्ट करो” (कंटीली झाड़ियों पर बने मचान को दिखाते हुए)

सभी युवा, युवती मरती पड़ती हालत में एक दूसरे को देखते हैं और उछलते जाते हैं। (जैसे उन्हें पैरों में बिजली से शोक लग रहा हो) और उछलते उछलते आह, आह, आऊ, आई, बोलते बोलते दरियों पर लेट जाते हैं।बहुत देर तक ऐसे ही औंधे मुंह पड़े रहते हैं। कुछ बीच बीच में चिल्लाते हैं।
हाथ पैर पटकते हैं। सर घुमाते हैं।

अब वहां के नेचुरोपैथी डॉक्टर जल्दी से ताड़ी के पानी में कुछ जड़ी बूटी का पाउडर मिक्स करके मिट्टी की बोतलों में भरकर उनकी दरियों पर एक एक बॉटल रख देता है।_”ढमम, ढम्म,ढम्मा “
युवा जल्दी से बॉटल से पानी पीकर शांत हो जाते हैं और फिर सो जाते हैं।
प्रकाश मंद।
पर्दा गिरा।
पर्दा उठा ।

रेत के ढोरो पर लगी हुई बेडिंग ऊपर से तंबू नुमा नेट।सभी डिप्रेशन के मरीज सो रहे है।
धर्म बिश्नोई जी सबके नेट बंद कर देते हैं।
दोपहर में कंटीली बड़ी-बड़ी झाड़ियां या नीम के पेड़ के नीचे चटाइयां बिछी हैं । कुछ मचान उनके ऊपर बने हैं।

धर्म बिश्नोई जी सभी के सर पर पगड़ी पहना रहे हैं ।
फिर सभी को सफेद कपड़े पहनने को देते हैं।
धर्म बिश्नोई जी ” लो ये सफेद कपड़े ( सफेद रेडीमेड धोती और आगे से खुला हाफ कुर्ता जिसमे डोरियां बंधी हुई हैं) पहन लो। गर्मी कम लगेगी।नाउ यू ऑल आर इन बैटर कंडीशन. सो चांदनी रात में सोने का लुत्फ उठाओ। गुड नाईट।”
सभी ( धीमे स्वर में ) “गुड नाईट।”
धर्म बिश्नोई चले जाते है।
सभी सो जाते हैं।
अगली दोपहर को जब सभी धीरे धीरे उठते हैं कुछ होश आता है तो देखते हैं।
दोपहर में कंटीली बड़ी झाड़ियां या नीम के पेड़ के नीचे चटाइयां बिछी हैं। उन पर ही सभी बैठे हैं । खाना भी वहीं मिल जाता है। पास में ही झील है। इसलिए नहाने धोने के लिए झील के पास ही जाते हैं।
कई दिनों तक यही दिनचर्या रहती है।

हर रोज जब उनकी आंख सुबह खुलती है” सुहाना सूर्योदय.. पास ही के गांव से औरतें आती हुईं और सबसे पहले वे पेड़ की पूजा करती हुईं।फिर बांधे गए गायों और बकरियों से दूध निकालती हुईं। चूल्हा जलाती हुईं। दूध गर्म करती हुईं। चाय बनाती हुईं। ” (एक लड़की) “किशोरी ” ( राजपूतानियो जैसा घाघरा चोली पहने हुए। हाथों में हाथी दांत की बड़ी-बड़ी चूड़ियां । सर पर घूंघट । परंतु चुनरी एकदम पतली होने की वजह से उसे सब दिखाई देता है और उसे चेहरे और गर्दन पर हवा भी मिलती है ) सबको अदब से चाय देती है। “चाय सा चाय सा “
सभी औरतें राजपूतानी ड्रेस में। एक औरत दू सरी औरत को “खंबा सा , खंबा सा बटुली में दाल डालकर चूल्हे पर चढ़ाओ।” दूसरी औरत को ” खंबा सा चूल्हे पे रोटी बनाओ। तनिक जल्दी करियो”
तीसरी औरत फुर्ती से गट्टे काट रही है। ” कट, कट, कट।” चौथी औरत ” ओप्पम यानी अफीम की पत्तियों के रेशे निकाल रही है ” त्थीऊं, त्थिऊं।” (जिससे थोड़ा सा नशा भी मिलता रहे) पांचवीं औरत बाजरे की रोटी ( हाथ से)बनाती है ” फट फट” छठी औरत “मिक्सी में लाल मिर्च की चटनी पीसती हैं। ” घूऊं घुऊं” सातवीं औरत कुरकुरी रोटी में घी और शक्कर मिला कर चूरमा बनाती है। ” कर्र, कर्रे, कर्रर।” आठवीं औरत बाजरे की खिचड़ी मिट्टी की डेगची में बड़े लकड़ी के चमचे से चला रही है। ” घुसद्द,घुसद्दड़,”

लंच का समय।
पानी तांबे के गिलास में । छाछ कुल्हड़ में। सब्जी,दाल ,रोटी ,चूरमा ,खूब सारा घी आदि फूल ( विशिष्ट मिक्स धातु ) की थाली में खाने को मिलता है।
सभी खाने का लुत्फ उठाते हैं । साथ ही बातें भी करते हैं।
ईशान ” खाना बहुत टेस्टी है।” शालू ” यार आज मैं कितना खा गई…!” नव्या “बहु..त टेस्टी” अर्जुन( बरतनों को देखते हुए) ” ये बरतन मुझे बहुत अच्छे लगे।”
सुशील ” पर इन्हें साफ करने में बहुत दिक्कत होती होगी।” एक राजस्थानी औरत पर ईण्मे ( इनमें)खाना खाने से निरोगी काया तो मिलती सा। “
सभी हिलाते अपना अपना सिर हिलाते हुए कहते हैं ” हां” मधु” ये तो है। आप सही कह रही हैं” किशोरी कुछ शर्माती सी बर्तन उठाकर ले जाती है।

शाम का वक्त। पकोड़ों की खुशबू फैली है।
सभी के मन में खुशी की लहर दौड़ जाती है।
एक औरत बड़ी-बड़ी मिर्ची के पकोड़े तल रही है ।आलू प्याज के भी।

पत्तों के दोनों में पकोड़े चटनी के साथ रखते हुए। चाय कुल्हड़ में डालते हुए किशोरी “चाय सा, चाय सा करते हुए सबको प्रेम भाव से खिलाती पिलाती है। ” नव्या खुश होते हुए” आपके दोनो ही बरतन एनवायरमेंट को यानी पर्यावरण को खराब नहीं करते । डिस्पोजेबल यानी एक बार उपयोग करके फेंक सकते हैं। फेंकने के बाद दोनो ही जीरो वेस्ट है यानी मिट्टी , खाद बन जाते हैं।
किशोरी पढ़ी लिखी भी थी इसलिए नव्या की बातों को समझ जाती है । (हंसती हुई)” हमारी तो यही परंपरा है सा..जीजी सा”
बाकी युवा उनके वार्तालाप को सुनकर खुश होते हैं और मन ही मन पारंपरिकता और आधुनिकता के चयन पर प्रभावित भी।

रात को एक बूढ़ी अम्मा मिट्टी के कुल्लहड़ों में गुलाबी रंग का मीठा मीठा सा दूध लाती हैं। और सबको पिलाती है और फिर डेगची में “खुर च खूरच ” करके खुरचन निकलती हैं और सभी को खुरचन भी देती हैं। सभी बच्चे सोंधी सोंधी खुशबू वाले मीठे मीठे से गुलाबी रंग के दूध को देखकर व पीकर और फिर खुरचन खाकर तृप्त हो जाते हैं । उन्हें इसका स्वाद बेहद ही स्वादिष्ट लगता है। शालू कहती है कि मैंने दिल्ली में कभी भी ऐसी खुरचन नही खाई न ही ऐसा दूध नहीं पिया है। अब मैं ऐसा ही दूध पीना चाहती हूं। हमेशा के लिए।”
ईशान बोलता है कि मैंने बहुत बचपन में नानी के घर पर बूढ़ी अम्मा के हाथ से ऐसा ही स्वादिष्ट दूध पिया था । इसलिए मुझे अभी तक कभी भी दिल्ली ,मुंबई का दूध (पैकेट वाला) पसंद ही नहीं आया और मैं पीता भी नहीं हूं। परंतु यह दूध में हमेशा पी सकता हूं। मैं मम्मी से कहता भी था कि मुझे बूढ़ी अम्मा के हाथ वाला ही दूध चाहिए। पर मम्मी मजबूर थी । शहर में ऐसा दूध कहीं नहीं मिलता है।”
सभी बच्चे इस बात को दिल से महसूस करते हैं और रोज रात को बूढ़ी अम्मा के दूध का इंतजार करते हैं।

अब सभी की यही दिनचर्या थी।
सबको एक जगह रखकर खुले में धूप में, गर्मी में ,सर्दी में ,हवा में रख दिया जाता है। जिन्हें सिगरेट चाहिए उन्हें बिश्नोई जी सिगरेट देते हैं। लो हुजूर शौक फरमाएं।”
जिन्हें स्मैक चाहिए उन्हें थोड़ी सी स्मैक देते हैं” लो जनाब आप थोड़ी चाट ही लीजिए।” कुछ को अफीम चटाते है। “लो आज इसका जायका भी लो।”

सब प्रकृति के सहारे रहते हैं। मधु ” झील में नहाता रहता है।”
ईशान पेड़ों के तनों को छूता रहता है। जिससे रिडियाशंस से अकड़ी बॉडी नॉर्मल हो जाए।
सारी लड़कियां नंगे पैर बालू मिश्रित मिट्टी में चलती हैं।” धस धस धस” कोई पेड़ दिखता है तो वहां के लोकल लोग पूजा करते हुए दिखते हैं तो वे तीनों भी पेड़ की पूजा करती हैं। किशोरी गर्मी में” रूह आफजा का शरबत सा,शरबत सा।” सबको देती है।
मधु ” एक शरबत का गिलास और सा”
सब हंसते हैं ।

किशोरी मुस्कुराती,शर्माती, चुनरी के पल्लू का एक छोर दांतों के तले दबाती हुई एक और शरबत का गिलास मधु को पकड़ाती है और चुपके से प्रेम भाव दिखाती है।
मधु” मेरे पापा सफाई कर्मचारी है सा।” किशोरी” आपके पापा तो सबसे बड़ा पुण्य का काम करें सा।” और भाग जाती है।
सब मधु को देखकर खुश होते हुए कहते हैं” मधु अब तो खुश है?” मधु खुशी और थोड़ा सा गर्व का भाव लाते हुए” हां यारो.”

रात को धर्म विश्नोई जी सभी से बहुत प्यार से आग्रह करते हैं “रात को नेट लगे बेडिंग में सोने से पहले सभी आसमान में सूरज चांद, तारों को देखने, महसूस करने यानी कॉस्मिक एनर्जी को लेने का प्रयास करना ।” वे सब वैसा ही करते हैं। ओटा“ध्रुव तारा ढूंढता है।”
जयंती” सप्त ऋषि देख कर। ” वो रहे सप्त ऋषि “
अर्जुन” छोटे-छोटे अनगिनत तारे देखता रहता है ।” सुशील ” बड़ा सा चांद देखता है ।चमकदार और उसमें बना गड्ढा ध्यान से देखता है । मून मिशन के प्रज्ञान रोवर को खोजने का प्रयास करता है।”

ईशान नेट से बाहर निकाल कर चांदनी रात में अपनी परछाई को देखता है और आश्चर्यचकित होता है कि चांदनी रात में भी हमारी काली परछाई दिखती है । जबकि शहरों में यह कभी देखा ही नहीं केवल सूरज की रोशनी में ही दिन में अपनी परछाई देखी है। आकर सभी को बताता है।”

सभी नेट से बाहर निकलते हैं । दो-तीन घंटे तक चांदनी रात में वे सब नंगे पैर वॉक करते रहते हैं। परछाइयो को देखते रहते हैं। और पूरे ब्रह्मांड की धरती की ,मिट्टी की, पानी की, पेड़ पौधों की, चांद, तारों, सूरज, पशु, पक्षी सभी की बातें करते हैं ।

इतने में ही उन्हें एक नेवला भागता हुआ दिखाई देता है । उसे देखकर नव्या( कौतूहल वश) ठिठक जाती है और बोलती है “स्टॉप” लेकिन नेवला भाग कर चला जाता है। मधु बोलता है ” डर मत मंगूज है यानी नेवला है। इसके होने से इतना पक्का है कि यहां रेत में सांप नहीं होंगे ।”
वे सभी वहां पड़े बहुत सारे पत्थरों पर बैठ जाते हैं । बातें करते रहते हैं।थोड़ी देर में उठकर अपने-अपने बेड पर जाकर सो जाते हैं।

बहुत दूर से गाने की मधुर आवाज आ रही है। गाना है।” जी ले”
जी ले …
जी ले ….
कि जिंदगी है.. आसान।
जी ले …
कि जिंदगी है… आसान
जीवन जीना है सबसे आसान ।

नहीं चाहिए कोई ..काम नहीं चाहिए.. व्याख्यान।
जी ले…
जी ले …
कि जिंदगी है.. आसान।

धरती मां की गोद में… सुरक्षित महसूस कर ले कि जिंदगी है.. बहुत आसान
जीवन जीना.. है आसान।

शहर में आदमी ही. नहीं दुखी
जानवर भी.. हैं दुखी
वहां
जानवरों को रहने, खाने की है…प्रॉब्लम,
वहां
अब मनुष्यों .. को भी… रहने, खाने की है.. प्रॉब्लम।

इसलिए ..
यहां खुले में रह..
खुले आसमान के नीचे..।
यहां रह.. नेचुरल
नो टेंशन..
नो प्रेशर….
नो वर्क लोड ..
अपनी मगन में ..
अपनी मस्ती में…
मस्त मौला… बनकर..
जी ले…
जी ले…
भरपूर जी ले ..
कि जीना है.. आसान जीवन है..आसान।_2″

सभी युवा “वाह खूब!, बहुत खूब, शानदार, वाह मस्त” आदि कमेंट करते है। सभी मोटिवेट होते हैं। खुद को अच्छा महसूस। अब सभी युवा स्त्रियों के कामों में हाथ बंटाने लगते हैं । मधु किशोरी के साथ सभी को स्वादिष्ट खाना परोसता है । लो सा,खाओ सा,और लेओ सा।” ईशान चूल्हे में आग जलाने के लिए फूंकने से फूंकता है।” फूं फूं.. फूं…”
नव्या घास मशीन से काटती है” घस्स, घस्सास, घस्सस।” शालू पक्षियों को दाना डालती हैं ” ले ओ, ले, ओ” पानी रखती है ।
जयंती कपड़े धोने के लिए सभी से कपड़े मांगती है और झील में जाकर धोती है। _” थाप थाप”
अर्जुन लकड़ियां बीन कर लाता है ।
प्रकाश मंद
और मंद
दृश्य परिवर्तन

एक दिन बारिश होती है। वो सब भीगने लगते हैं।
तभी सुशील ” मधु चल यार आज मचान पर चढ़ते हैं” ईशान ” हां बारिश से भी बच जाएंगे”
नव्या” ऊपर से यहां का नजारा भी देखेंगे” सभी ऊपर पेड़ पर बने मचानो पर चढ़ जाते हैं। कुछ देर तक रिमझिम होती रहती है। फिर रुक जाती है। एकाएक बूढ़े दादाजी झील के पास आकर बैठते हैं और पीपनी से मधुर प्रेम भरा धुन बजाते हैं । जिसे सुनने हंसों का जोड़ा आता है।बहुत ध्यान से सुनता है।एक हंस दादाजी का हाथ छूता है।जब वे रागिनी गाना बंद कर देते है तो दोनो हंस चिल्लाते हैं।” कै..न…. कै….न..”
दादाजी फिर से प्रेम रागिनी बजाते हैं। जोड़ा फिर से उनके पास ही खड़े खड़े सुनता रहता है। उन्हें छूता है।
एक तरफ बिलौटा और बिल्ली आकर उनके हाथ पर अपने सिर रखते हैं। दूसरी तरफ सफेद खरगोश उनके पास ही उन्हें पीछे से छू रहे हैं। मुर्गा (कलगी वाला ) मुर्गी शांत खड़े सुन रहे हैं।
थोड़ी दूरी पर डॉगी पेयर आगे के पैर आगे बिछा कर सिर जमीन पर रख लोटपोट हो रहा है।और दोनों की पूछे हिल रही हैं।
बकरी और भेड़ें भी चुपचाप खड़ी हैं।एक दूसरे को देखती हैं फिर दादाजी को।
अन्य प्राणी भालू, ऊंट ,हाथी, नीलगाय , भैंस , गाय। सब शांति से खड़े हैं। दादाजी की धुन ध्यान से सुन रहे हैं।फिर सभी थिरकने लगते हैं।
पेड़ की डाल पे मिट्ठू ( तोते) जोड़ा चोंच भिड़ाता रहता है।
कोयल” कूक्ति है।” कबूतर करते हैं “गुटर गू गुटर गू” करते हैं।
चिड़िया करती हैं ” ची ची ची” कौवे करते हैं” काव काव”
बाज ऊपर से आता है पर झपट्टा नहीं मारता बल्कि मंडराता रहता है। उल्लू पास आकर बैठता है । मधु और किशोरी भी डांस करते हैं “घूमर घूमर “(घूम घूम के)।
जब दादाजी रागिनी बजाना बंद कर देते हैं तो कुछ देर बाद
सब प्राणी झील में एक-एक करके पानी पीते हैं ।

जब एक जीव पानी पीता है तो दूसरा जीव इंतजार करता है। उसके पीने के बाद कुत्ता पानी पीने जाता है ।फिर बकरी जाती है। भैंस, गाय सब एक दूसरे के बाद जाते हैं और कोई किसी को डिस्टर्ब नहीं करता है। पशु पक्षियों एक साथ खाते हैं। ऊंचे पत्थर पर कौवे,कबूतर, तोते सभी एक साथ रोटी खा रहे थे।रोटी के छोटे टुकड़े उनसे नीचे गिर जाते थे। उन्हें नीचे गौरैया और काली चिड़ियां खा रही थीं।”

ये सब क्रियाकलाप सब युवा देख रहे थे।वे उन्हें ध्यान से देखते रहे उनसे प्रेरित होते रहे।

ईशान ” यहां कितना अच्छा लगा रहा है!काम का प्रेशर यहां कम है । मैं सॉफ्टवेयर डेवलपर इंजीनियर हूं। मेरा पैकेज भी एक करोड़ है। परंतु मेरी कंपनी मुझे वर्क बैलेंस नहीं देती । बहुत सारी फैसेलिटीज है। बहुत पैसा है । परंतु बहुत काम भी है । काम करने में ही मैं रात दिन व्यस्त रहता था इसलिए कोई फैसिलिटी यूज नहीं कर पाता था। जिंदगी झंड बन गई थी। आंखों पर 5 न. का मोटा चश्मा जो देख रहे हो ये इस नोकरी ने दिया है।धूप में न जाने की वजह से डिप्रेशन का शिकार हो गया था। रिडियशांस से बॉडी अकड़ गई थी।माइंड वर्क करते करते रुक जाता था।कुछ याद नही रहता था। एक दिन मैने सब लैपटॉप,मोबाइल,इयरफोन तोड़ फोड़ दिए” नव्या ” यहां पॉल्यूशन जीरो है।”
खाने पीने घर संभालने का झंझट नहीं है। इंडिया में एनवायरनमेंट की नौकरी में सैलेरी बहुत कम है। जिसकी वजह से मुझे खुद को संभालने में, घर को संभालने में घर के सभी काम करने में ,खाना बनाने ,सफाई करने, आदि में मेरी सारी एनर्जी ड्रेन हो जाती थी। जबकि मैंने एनवायरमेंट बाय चॉइस लिया था क्योंकि यह एक अच्छा सब्जेक्ट था जिसकी वैल्यू विदेश में बहुत अधिक है परंतु इंडिया में नहीं और मैं इंडिया से बाहर नहीं जाना चाहती और इंडिया में मेरा यह हाल था परंतु यह भी इंडिया ही है और यहां कितना सुकून है।”

शालू ” यहां हर महीने लोन चुकाने का टेंशन नहीं। वहां मुझे आधी सैलरी लोन चुकाने में देनी होती थी। उसकी आधी सैलरी रेंट में चली जाती थी ।बची सैलरी से मुश्किल से खाना पीना हो पा रहा था ऊपर से आई.आई.एम. करने का प्रेशर भी था। प्रेशर मैं नहीं झेल पा रही थी। इसलिए शराब ,सिगरेट अफीम, हीरोइन की लत में पड़ गई थी। ” अर्जुन “बेरोजगारी भी कोई समस्या है मैं तो यह भूल ही गया यहां आकर। बहुत खुश हूं यहां।
वहां आई.आई.एम कोलकाता से एम.बी.ए. पास आउट होते हुए भी मुझे कोई जॉब ऑफर नहीं हुई । गवर्नमेंट जॉब की प्रिपरेशन कर रहा था।गवर्नमेंट जॉब्स बैकलॉग वैकेंसी अभी तक फुल हुई नही हैं ऊपर से क्रीमी लेयर इन रिजर्वेशन का झमेला अलग से आ गया। और मेरे सिर पर एजुकेशन लोन भी है। इन सभी वजहों से मैं डिप्रेशन में चला गया था।”

सुशील “धर्म बिश्नोई अंकल कितने अच्छे हैं मुझे रोज क्रिकेट खिलाते हैं। मेरे डैडी ने मुझे क्रिकेट से बिल्कुल नाता तोड़ने के लिए बोल दिया था जो कि मैं नहीं तोड़ सकता था मुझे जबरदस्ती इंजीनियरिंग में डाल दिया अच्छी स्ट्रीम भी मुझे मिली फिर भी मैं केवल पढ़ना नहीं चाहता था क्योंकि डैडी से नाराज था। इसलिए रिबेल ( न पढ़ने की जिद्द) कर रहा था। सो आई वाज इन डीप डिप्रेशन” जयंती” मैं मणिपुर से आई थी ।परंतु वहां के दोस्तों ने मुझ एक्सेप्ट ही नहीं किया। मुझे चिढ़ाया। मुझे चिंकी चिंकी कहकर आइसोलेट कर दिया। मेरा पास कोई दूसरा मणिपुरी फ्रेंड नहीं था। अतः मैं भी डिप्रेशन में अपने ही रूम में पड़ी रहती थी और गलत चीजों का सहारा लेकर गलत रास्ते पर चली गई थी ।”
अफ्रीकी विद्यार्थी ओटा ” माई केस इज आल्सो सेम। माय फ्रेंड्स कॉल्ड मि हब्शी। दे इग्नॉरड मि। दे आइसोलेटेड मि। सो आई वाज टेकिंग ड्रग्स, स्मैक । “

मधु ” क्योंकि मेरी गर्लफ्रेंड ने मेरे पापा को गटर साफ करते हुए देख लिया था इसलिए उसने मुझसे ब्रेकअप कर लिया। सो आई वाज इन डीप डिप्रेशन।”

धर्म विश्नोई जी आज मैं आपको एक गीत सुनाता हूं।

“जी ले” साइट पर डिप्रेशन नही। 2

यहां शहर वाला प्रेशर नहीं
कोई रंग भेद नहीं
कोई नागरिकता भेद नहीं ।

कोई धर्म , जाति,भाषा,भेद नहीं
कोई वर्गीकरण नही
कोई क्रीमी लेयर नही
हाई सैलरी लो सैलरी का प्रेशर नहीं।

यहां शहर वाला वर्क लोड नहीं
कोई ब्यूटी ,कोई ड्यूटी कोई शूटिंग शर्टिंग की होड़ नहीं।
यहां शहर वाली भाग दौड़ नहीं
समय की शोर्टेज नहीं
कोई टारगेट नहीं ।

यहां शहर वाली छीना झपटी नहीं
यहां केवल खुशियां देने की है बस्ती ।

यहां है केवल
सिंपली सिटी नैचुरालिटी
और सोशलिटी।
सो प्लीज बिलीव इन नेचुरालिटी।
“जी ले” साइट पर डिप्रेशन नहीं 2″

नव्या “मैं भी एक गीत सुनाऊं?” सभी“हां हां”
पुलिस ऑफिसर” क्यों नहीं?सुनाओ बेटा” नव्या मेरे गीत के बोल
” झूम के सावन आया”

झूम के
सावन आया
जलराशि अपार लाया
नन्ही नन्ही बूंदे बरसाया
बारिश की फुहार लाया
तन मन में
ताजगी और खुशियों की बहार लाया।

झूम के
सावन आया
हर प्राणी की प्यास बुझाया
खुशनुमा वातावरण बनाया
घर आंगन
गली गली को तृप्ताया
सोंधी सोंधी खुशबू फैलाया
मिट्टी में
हरी हरी कोंपलें उगाया।

झूम के
सावन आया
हर प्राणी के मन भाया
उमंग तरंग से सबका दिल भरमाया
सबके मन में
प्रेम मनुहार पनपाया
जीवन के अंकुर फुटवाया।
झूम के
सावन आया।_2″

इतने में बूढ़ी अम्मा आती हैं” सुसील। यह मैं प्रसाद लाई हूं क्योंकि आज गाय ने बछड़ा जना है तो खींच प्रसाद के रूप में सबको बांट देओ।” सुशील ” हां बूढ़ी अम्मा मैं सबको बांटता हूं। मैने बचपन में खींच खाई थी। बहुत अच्छी लगती है। लो सब खाओ।… अहा..।”
प्रकाश मंद
और मंद

शरद पूर्णिमा की चांदनी रात।चांद पूरा बड़ा सा चमक रहा है।उसी रोशनी में आज बूढ़ी अम्मा दूध ( बड़े से मटके में इलायची पावडर मिक्स करके जाली से ढककर रख देती हैं। जिससे चांदनी किरण दूध में पड़ें। फिर चांद की पूजा करती हैं।हाथ जोड़ती हैं। सभी युवा, युवतियां चांद को देखकर हाथ जोड़ते हैं।
लगभग रात के 11 बजे
बूढ़ी अम्मा नव्या को बुलाती है।“नव्या तमी आओ। चांदनी रात का सफेद दूध सबको प्यार से देओ।” नव्या” घड़े से दूध गिलास में भर कर पहला ग्लास बूढ़ी अम्मा को देती है।
बूढ़ी अम्मा – बेटी मैं इतना नही पी सकती।
थोड़ा सा छोटे से मिट्टी के गिलास में डाल लेती है।और नव्या को आशीर्वाद देती हैं” जुग जुग जीओ” फिर नव्या बूढ़ी अम्मा के पैर छूती है और खुशी खुशी बाकी सभी को गिलास भर भर कर बहुत प्यार से सभी को दे आती है । बूढ़ी अम्मा” जवंती तमि आओ”
जयंती_ (मीठी खीर की पहली कटोरी बूढ़ी अम्मा को देती हुई)_” लो बूढ़ी अम्मा सबसे पहले आप लीजिए।”
बूढ़ी अम्मा ” मैं थोड़ी सी खा पाऊंगी। अपनी पत्तल पर पत्ते के कोन से थोड़ी सी खीर रख लेती है। और उसे आशीर्वाद देती है।” जुग जुग जीओ “
जयंती बूढ़ी अम्मा के पैर छूती है।
फिर सभी को मिट्टी की कटोरियों में भर भर कर देती है।

सभी युवा मीठा दूध पीते हैं। स्वादिष्ट खीर खाते हैं।
फिर उस रात सफेद सी चमकीले मिट्टी वाली धरती पर चांद की रोशनी में नहाए पचपदरा गांव की धंसीली बालू मिश्रित मिट्टी पर चलते रहते है। सुहाना मौसम। तेज चलती ठंडी हवाएं। बालू ठंडी । पैर नंगे । बालू में पैरों को धंसाते हुए चलते जाते (मस्त मौला होकर) ।
प्रकृति के साथ तादात्म्य बिठाते हुए खूब आनंदित होते हैं।
हवा के झोंके खाते रहे। एकाएक सुशील पूछता है ” कल हवा महल देखने का प्रोग्राम बनाया जाए?” शालू ” हां यहां राजस्थान में हवा की ऊर्जा यानी विंड एनर्जी बहुत है। “
नव्या” हां इसीलिए यहां पर हवा महल बनाया गया। कल हम सब लोग जयपुर का “हवामहल” देखने चलेंगे” सभी युवा एक साथ” हां जरुर चलेंगे “
सुंदर सपनों के साथ आकर अपने अपने नेट लगे बेडिंग पर गए। अगले दिन हवा महल में घूमते हैं उसकी भव्यता देखते हैं ।

ईशान” चलो पूरा पिंक सिटी जयपुर घूमते हैं क्योंकि यह पहला शहर है जो फुली वास्तु के अकॉर्डिंग बना है।” मधु” मुझे शीश महल अच्छा लगता है”
सभी “ओके देखेंगे” शालू” मुझे जंतर मंतर यानी समय घड़ी देखना है”
सभी “ओके” फिर वहीं सब घूमते हैं। साथ ही बड़ी बड़ी , हवेलियों में बने झरोखे व स्टेपवेल यानी बावड़ियां (पुराने जल एकत्र करने वाले जलाशय), झील, बड़े झुंड में रूखी सूखी घास खाती बकरियां और भेड़ें साथ ही रंग-बिरंगे कपड़ों से सजे ऊंट चलते हुए देखे। सभी ने ऊंट की सवारी की।बहुत आनंदित हुए। ओटा” राजस्थान बहुत सुंदर है।”
सभी खुश होते हुए एक साथ_ ” हां ये सच है।”

शाम को वहीं पर मधु और ईशान ट्रक वाले से बात करते हैं “भैया पचपदरा की “जी ले ” साइट पर दो एकड़ जमीन पर छह फुट ऊंची उपजाऊ मिट्टी डालनी है।” ट्रक मालिक डल जाएगी साहब । कल से ही काम शुरू कर देता हूं” एक महीने के बाद

सभी युवा छह फुट ऊंची उपजाऊ मिट्टी पर पानी डाल कर पेड़ पौधे (फूलों और सब्जियां के) लगाते हैं ।उनकी सेवा करते हैं ।
3 महीने के बाद फूल लग जाते हैं। सब्जियां लग जाती है । उन्हीं सब्जियों को पकाया जाता है ।

प्रकाश मंद
दृश्य बदला
टेबल पर कंप्यूटर ।
धर्म विश्नोई जी अपना “एप्प डिप्रेशन ओवर कम. कॉम”
चैक कर रहे हैं।सभी युवाओं के परिवार वालों से डोनेशन आ चुका है।
अब वे खुश होकर गुनगुनाते हैं –
“खानपान बदला पहनावा बदला

बदले रीति-रिवाज
रहन सहन ,उठना बैठना
बदला विदेशी मिजाज

ओल्ड इज गोल्ड
बी नेचुरल।
जी ले ,
जी ले
कि जीना है आसान बहुत आसान
मरना है मुश्किल
बहुत मुश्किल
मुश्किल काम करने से पहले
आसान काम कर ले
जी ले ,
जी ले
कि जीना है बहुत आसान। “

दृश्य बदला
धर्म बिश्नोई जी
पुलिस कमिश्नर को फोन करते हैं“सर सभी बच्चे युवा अब ठीक हो चुके हैं” कमिश्नर “वेरी गुड। यू हैव डन ग्रेट वर्क।थैंक्यू सो मच।”

कमिश्नर एम .एन. सी. कंपनी के सी .ई .ओ. को फोन लगाते हैं “आइ एम पुलिस कमिश्नर ऑफ दिल्ली। नाउ इंग्लिश सॉफ्टवेयर डेवलपर ईशान इज गुड्ड।नाउ यू कैन टेक हिम बैक एंड ऑफर हिम सेम जॉब एंड टेक केयर हिम । डॉन्ट गिव टू मच वर्क।मेंटेन द वर्क बैलेंस। लाइफ इज मोर इंपॉर्टेंट देन वर्क।” सी. ई .ओ .“यस सर थैंक्यू”
पुलिस कमिश्नर एम . एन.सी.के सी . ई. ओ. को फोन लगाते हैं” आई एम पुलिस कमिश्नर ऑफ दिल्ली ,इंडिया। नाउ नव्या इज इन गुड कंडीशन। प्लीज कम एंड टेक हर बैक एंड ऑफर हर जॉब विद स हाय सैलरी। सो शी केन लिव स्मूथली।और गिव हर ए नॉर्मल रेजिडेंस इन यौर कंपनी एरिया। शी वांट्स टू लिव बट शी कैन नॉट सरवाइव इन ए सच लैस सैलरी। इस महंगाई में। सी. ई .ओ “यस सर। आई विल बेस्ट फ्रॉम माय साइड।थैंक्यू।”

बृज मोहन जी को पुलिस कमिश्नर फोन लगाते हैं“मैं पुलिस कमिश्नर ऑफ दिल्ली में आपसे यही कहना चाहता हूं कि बच्चे पर अपनी पसंद लादे नहीं। उसकी जिंदगी ज्यादा जरूरी है।” बृज मोहन “यस सर।उसको बचाने के लिए आपको बहुत बहुत थैंक यू…(रूआंसा होकर)

प्रिंसिपल ऑफ हंसराज कॉलेज और प्रिंसिपल ऑफ मिरांडा हाउस कॉलेज दोनों को कांफ्रेंस कॉल करते हैं“पुलिस कमिश्नर ऑफ दिल्ली । नाव ओटा एंड जयंती आर कंप्लीटली नॉर्मल। प्लीज टेक देम बैक।प्लीज टेक केयर ऑफ दिस टाइप ऑफ माइनोरिटी स्टूडेंटस। इंस्ट्रक्ट टू ऑल स्टू टूडेंटस , टीचरस देट डॉन्ट बिहेव पार्शियल विद देम। गिव देम हेवी पनिशमेंट।अदरवाइज वी हैव टू गिव पनिशमेंट टू कॉलेज।” प्रिंसिपल “यस सर। स्योर। आई विल टेक केयर”

वित्त मंत्री को उनका पी. ए . फोन देता है।” माननीय मंत्री जी नमस्कार मैं पुलिस कमिश्नर ऑफ दिल्ली आपसे यह दरखास्त करना चाहता हूं कि स्टूडेंट्स लोन की ब्याज दरें कम कर दी जाएं। .. बिकॉज़ बच्चों को सैलरी पर्याप्त नहीं मिल रही। दे केन नॉट सरवाइव इन दिस सैलरी।” वित्त मंत्री” ओके ।आई विल टेक एक्शन”
पुलिस कमिश्नर_”थैंक यू सो मच माननीय मंत्री महोदया”

पी.एम.ओ. हाउस में फोन आता है। शिक्षा मंत्री जी पी .ए से फोन पकड़ते हैं। फोन में से आवाज” नमस्कार ।आदरणीय मंत्री महोदय। मैं पुलिस कमिश्नर ऑफ दिल्ली आपसे एक प्रार्थना करना चाहता हूं कि आई. आई. एम, एम. बी. बी. एस, पी.एच. डी, सी. ए जैसे हाइली एजुकेटेड बच्चे भी बेरोजगार हैं । ऐसे बच्चों को बेरोजगारी भत्ता दिया जाए और बैकलॉग वैकेंसी भरकर उन्हें रोजगार देने की कृपा करें। जिससे ये बच्चे अपना मेंटल बैलेंस न खोएं। और डिप्रेशन से उबर सकें।” शिक्षा मंत्री“हम आपके संज्ञान पर इस मामले में जल्दी ही कार्यवाही करेंगे।”
पुलिस कमिश्नर_” बहुत-बहुत धन्यवाद मंत्री महोदय”
प्रकाश मंद
और मंद
प्रकाश गुल
समाप्त

Dr. Suman Dharamvir

डॉक्टर सुमन धर्मवीर
विशाखापत्तनम

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