जीस्त में कब मेरी ख़ुशी आयी
जीस्त में कब मेरी ख़ुशी आयी
जीस्त में कब मेरी ख़ुशी आयी!
दर्द ग़म की आंधी चली आयी
दौर आया ऐसा जीवन में ही
रोज़ ही आंखों में नमी आयी
नफ़रतों का ही दौर आया है
जीस्त में प्यार की कमी आयी
लें गयी है बहा के सब खुशियां
जीस्त में ग़म की वो नदी आयी
चाह है भूलना जिसे दिल से
और भी उसकी बेकली आयी
आरजू थी जिसकी सदा आज़म
जिंदगी में न वो हंसी आयी
️
शायर: आज़म नैय्यर
(सहारनपुर )
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