कागा की कविताएं

बर स़ग़ीर मुल्क भारत के लिये सन् 1946 का विभाजन भारत पाकिस्तान एक अभिशाप के रूप में स़ाबित हुआ भारत से मुस्लिम समुदाय ओर पाकिस्तान से हींदू वर्ग परस्पर पलायन किया जिसका भेंयकर आज तक कोढ़ में खाज बना हुआ है ।

उसके बाद सनऋ 1965 1971 की भारत पाक की जंग सीमिवर्ती क्षेत्रों में ह़िजरत करने को मजबूर होकर अपने पीढ़यों से आबाद बस्तियां बर्बाद कर अपने आशीयाने उजाड़े तथा नज़दीकी ख़ून के रिश्तेदारों को खोया उनकी जुदाई का दंश आज तक बिछोड़े की स़ूरत में झेल रहे है!

सन् 1971 की हिंद पाक की लड़ाई से मुतास़िर मैं भी एक अभागा प्राणी हूं जिसके माता पिता का साया बच्चपन में सिर से उठ चुका था जवानी में एक भाई तीन बहिनें चाचा ताऊ का परिवार सहित ननिहाल पिता का ननिहाल भूआ का कुनबा ओझल हो गया ।

जुदाई विदाई में रो-रो कर जीवन के दिन गुज़ारे भारत की नागरिकिता की जद्दोजहद में कामयाबी मिली प्रथम बार इकलोता पासपोर्ट वीज़ा लेकर अटारी बाघा सरह़द से भारत से पाक गया जहां मेरे भाई स्व, राणा राय कागा का निधन हो चुका था ।

मेरी बहिन मेघु बाई की शादी गांव मिठड़ियो भट्टी मिठ्ठी में गयी थी ओर शेष दो बहिनें क्रमश: ह़ुर्मी ओर ढेली का पासपोर्ट बना कर वीज़ा से भारत लेकर आया ओर दोनों बहिनों की शादियां कर दी ओर पूरे ख़ानदान से बिछुड़ हमेशा के लिये भगरतीय बन कर नागरिक हो गया!

सन् 2005 में मेरे चचेरे भाई मास्टर श्री कृपाल दास कागा ने बड़ी अनहोनी हृदय विदारक घटना कर दी जिसका राज़ आज तक पोशीदा है अपनी जीजल मां अपनी धर्मपत्नि अपने जिगर के टुकड़े पुत्र दो पुत्रियों सहित अपनी ही पिस्टल से गोली मार ख़ुदकुशी करलेने के बदनसीब समाचार सुन दोबारा अपनी पत्नि सहित वीज़ा लेकर ग़म के मौक़े पर पाक अपने गांव जाना पड़ा ।

दुख की घड़ी में सांत्वना के अलावा मेरे पास कुछ नहीं था 1999 में मेरे में मेरे चाचा श्री भलूमल के निधन पर मेरी धर्मपत्नि ओर मेरा बड़ा पुत्र श्री ललित राय कागा भी पाक गये कारगिल के अचानिक युद्ध के कारण आनन फ़ानन में वापिस लोटना पड़ा !

2006 में माननीय श्री जसवंतसिंह जसोल क़ेंद्रीय वित्त विदेश रक्षा भारत सरकार का एक विशेष शिष्ट मंडल छत्तीस समाज के राजपूत ब्रह्मण मुस्लिम मेरासी चारण मेघवाल भील रेबारी सहित इंद्रधनुषी कारवां बना जिसमें मैं भी हिंगलाज माता यात्रा का साक्षी बना सिंध बलूचस्तान का अति विशिष्ट भ्रमण एतिहासिक रहा!

मेरे विधायक काल में 2015 एंव 2018 भी एक यादगार क्षण रहे 2018 में मेरे साथ मेरी धर्मपत्नि श्रीमति मिश्री देवी कागा मेरा पुत्र श्री युवराज राणा मेरी पुत्रवधु श्रीमति परमेश्वरी कागा मेरा पोता श्री गर्वित कागा पोती कु, निहारिका संग रहे इनकै मेरी जन्मभूमि के साक्षात दर्शन कराये!

मेरी सहोदर बहिन श्रीमति मेघु के देहांत पर मैं स्वंय पत्नि पुत्र युवराज सहित दिनांक 4 जून 2024 को पाक के लिये रवाना होकर दिनांक 19 जून घर लोट आया सफ़र आसान ग़मगीन रहा वापिस जुदाई के ज़ख़्म क़ुरेदने पर हरे हो गये आंखों में आंसू दिल में दर्द पीड़ा तड़पा रही है जिसका वर्णन करना बस में नहीं!

कवि साहित्यकार: डा. तरूण राय कागा

पूर्व विधायक

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