काम होते गए ख़ुशी मिलती गई
एक कस्बें में एक ग़रीब परिवार अपने इकलौते बेटे के साथ रहता था, उनकी पंसारी की एक छोटी सी दुकान थी.बेटा उनकी शादी के १५ साल बाद हुआ । बेटा बचपन से ही बड़ा होशियार था,१० वी और १२ वी कक्षा में अच्छे अंकों से पास हुआ, छात्र वृत्ति प्राप्त करने वाला छात्र था.प्रथम श्रेणी का सरकारी कर्मचारी बन गया।
कस्बें में नाम हो गया, बेटे ने पिता जी की पंसारी की दुकान बंद करवा दी,जहाँ भी बेटे की नौकरी होती वही अपने माता पिता को अपने साथ रखता.अपनी माता पिता की सेवा के लिए दो सेवक भी रख लिए।
माता पिता ने बेटे की शादी के लिए बहुत प्रयास किए पर बेटे ने शादी नहीं की , उसका मन तो हमेशा चैरिटी में लगा रहता था.नौकरी पर जाने से पहले अपने माँ और पिता दोनों के पैर छू कर जाता, समय गुज़रता रहा, अपने कस्बें के लिए बेटे ने एक गौशाला का निर्माण करवा दिया , अपनी तनख्वाह का ७५ प्रतिशत चैरिटी करता था।
कुत्तों के लिए घर से रोटियाँ लेकर निकलना, मकान के चारों तरफ़ पेड़ ही पेड़ लगवा दिए, जगह जगह पियाऊँ की व्यवस्था। माता पिता का निधन हो गया अकेला रह गया, कस्बें में अपने माता पिता के नाम से स्कूल का निर्माण करवाया, हॉस्पिटल, पुस्तकालय आदि की व्यवस्था कर दी, शहर से कस्बें के आस पास के गाँव में सड़कों का निर्माण।
जब भी समय मिलता कस्बें के लोगों से मिलने आना उनकी समस्या सुन ना समाधान करना.
कस्बें के कुछ लोगों ने एक अनुरोध किया, बेटा तूने बहुत कुछ किया, एक तो कस्बें में पानी की टंकी और एक काम कर दें खेतों की सिंचाई के लिए बड़ी समस्या हैं, अगर बेटा तुम सरकार से कह कर कस्बें के पास से नहर का निर्माण करवा दो।
आप चिंता ना करे आपने मेरे से कह दिया मैं शीघ्र ही इस पर काम करता हूँ। मन ही मन सोचने लगा नहर का काम इतना आसान नहीं हैं मैंने कह तो दिया, इस काम के लिए कुछ बड़ा करना होगा, बहुत प्रयास किए पर बात बन नहीं रही थी, इतना प्रयास करने के बाद भी सरकार मान नहीं रही थी,उसने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
और अपने गाँव आ गया, लोगों को पता चला, लोग मिलने आने लगे, सभी के मन में यही प्रश्न था सारे काम तो हो गए पर नहर का काम अभी होता दिख नहीं रहा हैं। गाँव में एक रिटायर्ड अध्यापक रहते थे, नहर के विषय पर वो भी बहुत चिंतित थे।
रिटायर्ड अध्यापक गाँव के चार पाँच सम्मानित लोगो को साथ लेकर मिलने पहुँच गए।
बेटा तुमने बहुत काम किए हैं अपना जीवन लोगो की सेवा में लगा दिया.हम लोगो को पता हैं तुमने नहर का काम ना होने की वजह से इस्तीफ़ा दे दिया हैं।
बेटा एक काम करो आगे आने वाले चुनाव में निर्दलीय सांसद का चुनाव लड़ो,सभी ने तालियों के साथ हाँ भर दी.
सरकार ने जैसे ही चुनाव की घोषणा की गाँव में ख़ुशी की लहर, पूरे गाँव साथ में निर्दलीय टिकट पर नामांकन के लिए गया,आख़िर ईमानदारी और काम की जीत हुई, सभी दलों के प्रत्याशियों की बुरी हार हुई, इस चुनाव की गूंज पूरे देश में हुई।
बहुमत वाली पार्टी ने मंत्री पद की शपथ दिलाई ,शर्त एक ही थी विभाग सिंचाई ही चाहिए, विभाग मिल भी गया.
गाँव के समीप से ही एक नहर का निर्माण हुआ,आस पास के गाँव में भी ख़ुशी का माहौल था.कुछ न्यूज़ वाले इंटरव्यू लेने आए, सच में आपने अपनी पूरी जिंदगी चैरिटी में लगा दी और आपको मिला भी बहुत कुछ हैं।
सिचाईं मंत्री में बहुत ही सुंदर जवाब दिया।
देखिए मैंने ये सोचकर चैरिटी नहीं की मुझे मंत्री बनना, चैरिटी का मकसद सिर्फ़ लोगों की ख़ुशी में मेरी ख़ुशी.
बस यही सोचता रहता हूँ किसी की मदद कर दूँ काम होते गए ख़ुशी मिलती गई।

पीयूष गोयल
( ग्रेटर नोएडा )







