Ghazal नहीं तिरछी नज़र जैसा कोई भी वार दुनिया में
नहीं तिरछी नज़र जैसा कोई भी वार दुनिया में
( Nahi Tirchi Nazar Jaisa Koi Bhi War Duniya me )
कलेजा चीरने वाले बहुत हथियार दुनिया में।
नहीं तिरछी नज़र जैसा कोई भी वार दुनिया में।।
चलन सबका यहां उल्टा मिलेगा तुम अगर देखो।
गुलों को पूजने वाले बिछाते ख़ार दुनिया में।।
गमों को झेलते रहना यहां तकदीर में सबकी।
दुखी सब है मगर उसके बहुत प्रकार दुनिया में।।
रहे जज़्बा हमेशा ही मुसीबत कोई भी आए।
अगर मंजिल को पाना है न मानो हार दुनिया में।।
सभी जन पूजते धन को यही मानो खुदा सबका।
गुणों की खान हो बेशक मगर बेकार दुनिया में।।
जुबां कुछ भी कहे लेकिन नज़र सब कुछ बता देती।
पढो देखो तो हर चहरा यहां अख़बार दुनिया में।।
बहुत सोचा यही समझा सभी रँग देख जीवन के।
छलावा तो बहुत मिलता न मिलता प्यार दुनिया में।।
कवि व शायर: मुनीश कुमार “कुमार”
(हिंदी लैक्चरर )
GSS School ढाठरथ
जींद (हरियाणा)
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