
चक्र समय का चलता रहता
( chakra samay ka chalta rehta )
इस समय का यही इतिहास है,
कभी आँधी तूफ़ान बरसात है।
कभी धूप और कभी ये छाॅंव है,
तो कभी पतझड़ गर्मी शीत है।।
ये चक्र समय का चलता रहता,
अपनें ही हाल में यह है रहता।
किसी के रोकने से नही रुकता,
समय का यह पाबंदी है रहता।।
जिसने किया इसका सदुपयोग,
अग्रसर रहा विकास की और।
जीत को हासिल वो करता रहा,
समय अनुसार जो चलता रहा।।
समय ने आज लिया है करवट,
बढ़ रहा है यह कोरोना सरपट।
अपनें आपको आज है बचाना,
मास्क सदा ही लगाकर रखना।।
यह चक्र घुम रहा बनकर काल,
नही छोड़ना आज तुम ये आस।
आग में झुलस रहें सभी ख़्वाब,
रखना दिल में सब तुम विश्वास।।
रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )
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