नदी रामपुर और कैथा गाँव के बीच से होती हुई बहती है। बरसात में जब वह उफनती है तो दोनों गाँव के खेतों को एक समान डूबोती – धोती हुई बहती है। दोनों गाँव वाले दुख नहीं मानते कि नदी को ऐसा नहीं करनी चाहिए बल्कि वे खुश होते हैं कि हमें भी नदी की तरह बन जाना चाहिए।

दोनों गाँव में किसी के घर बेटी या बेटे कि शादी लगती है तो लोग नदी जैसी हृदय में भावना लिए उमड़ पड़ते हैं और उनके साथ होती है उनकी अपनी पत्नियाँ। व्यवहार की धरती एक दूजे को आनंदित कर देती है।कैथा में शोभन यादव की बेटी की शादी लगी तो रामपुर वाले टूट पड़े।

“हम सभी आपके साथ है शोभन भैया। आपकी बेटी हमारे गाँव की भी बेटी लगती है।” राम पदार्थ ने हृदय का भाव इजहार करते हुए कहा।

“कैसे नहीं,आपकी बेटी भी तो हमारे गांँव की बेटी लगती है। शोभन यादव ने गले मिलते हुए कहा।
इस तरह मिलते हैं एक दूजे से नदी पार के लोग।

Vidyashankar

विद्या शंकर विद्यार्थी
रामगढ़, झारखण्ड

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