सामाजिक साहित्यिक संस्था संजीवनी द्वारा जांगिड अस्पताल परिसर में नवलगढ़ के साहित्यकार हास्य कवि लेखक संपादक व खिलाड़ी स्व. मुरली मनोहर बासोतिया को उनके जन्मदिन पर याद किया गया।

इस अवसर पर कवि गोष्ठी का भी आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता संजीवनी के अध्यक्ष वरिष्ठ चिकित्सक डाॅ दयाशंकर जांगिड ने की तथा मुख्य अतिथि नगरपालिका उपाध्यक्ष कैलाश चोटिया व विशिष्ट अतिथि मेजर डीपी शर्मा जगदीश प्रसाद जांगिड मुरली मनोहर चोबदार दीपचंद पंवार थे।

डाॅ जांगिड ने बताया कि मुरली जी बासोतिया हंसमुख स्वभाव के व्यक्तित्व के धनी थे। वे अपनी कविताओ से सभी का मनोरंजन करते थे। उन्होने वाह भई शेखावाटी काव्य संकलन का सृजन किया जो अपने आपमे अद्धितीय कृति मानी जाती है ।

कुछ समय पहले भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र जी मोदी ने उनकी कविता की पंक्तियां सुनाकर भाव विभोर कर दिया। उन्होने शेखावाटी का वर्णन करते हुये ‘‘बोली जाणै मीठी मिसरी घणी सुहावै माटी। धन अनमोल रतन निपजावै वाह भई शेखावाटी’’ काव्य अंश सुनाकर शेखावाटी के कवियों विशेषकर मुरली जी बासोतिया का मान बढ़ाया।

आपने पाक्षिक शेखावाटी गंध पत्रिका का संपादन किया जो अब भी निरंतर जारी है। आप फुटबाल के अच्छे खिलाड़ी रहे। काॅलेज व सूर्य मण्डल की टीमों मे आपने भागीदारी की। संजीवनी संस्था आपके व्यक्तित्व से प्रभावित है आपको शत शत नमन करती है।

कार्यक्रम में कवि रमाकान्त सोनी ने ‘‘मुरली मनोहर थारी कविता घणी प्यारी है, वाह भई शेखावाटी दुनिया सूं न्यारी है।’’ कविता सुनाकर मन मोह लिया। रिद्धकरण बासोतिया ने ‘‘याद घणी आवै थारी मनड़ा म बसरया हो’’ गीत प्रस्तुत किया। डाॅ दयाशंकर जांगिड ने वाह भई मुरली भाई कविता सुनाई।

कवि महेन्द्र कुमावत ने मै शेखावाटी का आभार जताने आया हूं गीत प्रस्तुत किया। काशीनाथ मिश्रा, मुरली मनोहर चोबदार, जगदीश प्रसाद जांगिड सज्जन जोशी ने भी बासोतिया जी के जीवन पर कविताएं सुनाई। कार्यक्रम का संचालन कवि रमाकान्त सोनी ने किया।

इस अवसर पर डाॅ शिखरचंद जैन डाॅ मनीष डाॅ मीनाक्षी टी एम त्रिपाठी रामावतार सबलानिया सी एल सैनी गंगाधर मील व जांगिड अस्पताल के कर्मचारी मौजूद रहे।

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कवि मुरली मनोहर बासोतिया

मुरली मनोहर थारी कविता घणी प्यारी है।
वाह भई शेखावाटी दुनिया सुं भी न्यारी है।

शेखावाटी गंध सारा जग म फैलाई है।
गीत सुरीला मीठी सी रसधार बहाई है।

मोतीड़ा सबदां रा थारा झड़ी बरसावै है।
सिधो सो जीणो म्हानै याद घणी आवे है।

सांवणिया म हिंडो झूलां होळी रंग ल्याई है।
फागण री मस्ती चंग धमाल मन हरसाई है

बिणजारो पणिहारी गीतां री बहारां आई।
नार सुहागण सज धज गणगौर ल्याई है।

खटमल डांस चोखो नट मुकळावो गावै है।
ऊंट गधेड़ा गिंदड़ रस रंग फाग सुणावै है।

लेखनी फुहारां बरसै सोणी कविता सारी है
शब्दां म रस टपकै यो न्योलगढ़ आभारी है।

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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