आदिशक्ति मां जगदंबे भवानी
आदिशक्ति मां जगदंबे भवानी
विनती:-
शारदीय नवरात्र मां दुर्गा का त्यौहार।
नतमस्तक वंदन करूं रखिए हरदम प्यार ।।
चंड मुंड संहारिणी, असुर निकंदन रूप।
खड्ग खप्पर कर में लिये, भिन्न-भिन्न स्वरूप।।
हे माता जगदंबिका दो मुझको वरदान।
कलम हाथ से जो लिखूं हो मेरा लेख महान।।
शैल सुता
गिरी हिमालय की बेटी शैल सुता कहलाए
मनोकामना पूर्ण करती जो लेता तुझे मनाए
ब्रह्मचारिणी
ब्रह्मचारिणी दुर्गा मैया बड़ा निराला रूप
सदाचार संयम सिखा, करती काम अनूप
चंद्रघंटा
पाप नशावन को मैया तूं चंद्रघंटा कहलाई
शौर्य वीरता दिव्य अलौकिक सब में शक्ति समाई
कुष्मांडा
कुष्मांडा के रूप में, मां देती सिद्धि अपार
रोग शोक सब दूर कर हरती सकल विकार
स्कंदमाता
मोक्ष द्वार को खोलती मां स्कंद कहाय
अपने भक्तों के लिए झटपट दौड़ी आय
कात्यायनी
दुर्गा मां कात्यायनी अद्भुत शक्ति संचार
दुश्मन को दंडित करें देती भक्तों को प्यार
कालरात्रि
कालरात्रि मां तेरी शोभा वर्णन नही जाए
पापों से मुक्ति मिले दानव दल पर धाय
महागौरी
महागौरी के रूप में मां तेरा अवतार
सुख की वृद्धि हो सदा होती जय जय कार
सिद्धीदात्री
दुर्गा सिद्धिदात्री, पूजित जगत जहान
सर्वकामावसांयिता रखती सबका मान।।
कवि : संत कुमार सारथि
नवलगढ़
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