मानव यही धर्म | Manav Yahi Dharm
मानव यही धर्म
‘मानव’ यही रहा है धर्म पुराना,
धर्म का न कोई अलग निशाना;
न देखा ‘अल्लाह’ को किसी ने,
नहीं ‘गॉड’ से भी पाया किसी ने |
इंसान ने ही भगवान बनाया,
भगवान एक ही आद्य या अंत;
अब तो मिटा दिया करो सभी,
दिवार जात-पात या धर्म-पंथ |
धर्म भेद को भूलाकर सभी,
एक साथ रहो मिलकर अभी;
धर्म कलह को लाना न कभी,
धर्म द्वेष को मिटा देना अभी |
यह गरीब और वह अमीर,
भेदभाव को सभी भूल जाओ;
बाबासाहेब ने इसी के वास्ते,
जीवन बिताया ध्यान में लाओ |
जाति धर्म में वह लगाकर आग,
शेक रहे नेता रोटी अपनी-अपनी;
उन नेताओं को घर में बिठा देना,
खुशियों से गुजरेगी जिंदगी अपनी |
आनंदा आसवले, मुंबई
पत्ता: साईभक्ती चाल, रूम नं. 1, आनंद नगर, अप्पा पाड़ा,
कुरार विलेज, मालाड (पूर्व) मुंबई-400097
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