प्रेरणा
( Prerna )
प्रेरणा वह शब्द, जो जड़ को भी चेतन बना दे।
प्रेरणा प्रेरित करे तो, हिमशिखर चुंबित करा दे।
प्रेरणा वह शक्ति , मिट्टी को बदल दे स्वर्ण में।
प्रेरणा वह भक्ति, पत्थर को भी देवालय बना दे।
प्रेरणा वह गीत, सुन कायर भी शूरवीर बनता।
प्रेरणा प्रकाश, वह प्राची दिशा से फूट पड़ता।
प्रेरणा वह लेखनी, सरिता बहा जो ज्ञान की दे।
प्रेरणा वह चांदनी, तापित हृदय को शान्त कर दे।
प्रेरणा सन्देश, कृष्णा ने दिया अर्जुन को था जो।
प्रेरणा वह रक्त, दुश्मन को मिला दे धूल में जो।
प्रेरणा वह कीर्ति, जो सारे जहां में फैल जाए।
प्रेरणा स्फूर्ति, जीवन से नई रचना कराए ।
प्रेरणा वह छंद, जिसमे कोकिला की मिठास हो।
प्रेरणा मकरंद, जिसमे सुरभि का आभास हो।
प्रेरणा उद्गार, बहता है सरल कोमल हृदय में।
प्रेरणा मल्हार, सावन लाए जो उजड़े चमन में।
प्रेरणा वह गुरु, जो सफलता में हो सहायक ।
प्रेरणा उपहार, जीवन गति पकड़े आक्रामक।।
रचना – सीमा मिश्रा ( शिक्षिका व कवयित्री )
स्वतंत्र लेखिका व स्तंभकार
उ.प्रा. वि.काजीखेड़ा, खजुहा, फतेहपुर
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