मातृभूमि भ्रमण 2024 | Matrubhoomi Bhraman 2024

भाग 1

दिनांक 4 जून को कालका एक्सप्रेस से बाड़मेर से रवाना होकर रात बटिंडा रात 12 ,30 पर पहुंचे वहां एक एक शानदार होटल में विश्राम किया तथा दूसरे दिन प्रात:टेक्सी से सीधा अटारी भारत सीमा पर पहुंचे ।

वहां पोलिस एमिग्रेशन एंव कस्टम के बाद पाक सीमा में बागा चौकी पहुंचे वहां सारी प्रक्रिया पूर्ण करने के बाद दिनांक 5 जून लाहोर पहुंचे वहां श्री विजय कुमार मेघवाल अपने वाहन मय टेक्सी कुछ साथियों के साथ मालाएं पहनाकर स्वागत किया ओर अपने घर लाहोर साथ ले गया ।जहां लंच के पश्चात विश्राम किया ।

वहां पर स़ादिकाबाद के पूर्व विधायक श्री कानजीमल मेघवाल पहुंचे ओर गर्मजोशी से इस्क़तक़बाल किया गया ओर विचर विमर्श किया सांय ग्रीन लाईन ट्रेन से अग्रिम हैदराबाद के लिये बिज़नेस क्लास में टिक्ट बूक करा रखे थे ।

पूरे साथियों के हमारा सामान लेकर आये ओर ट्रेन में बिठाया ओर रुख़स़त किया ट्रेन रात क़दम 10 बजे रवाना होकर दिनांक 6 जून लगभग 12,30 को ह़ैदराबाद पहुंची वहां रेल्वे स्टेशन पर हमारा इंतज़ार कर रहे डा, अशोक कुमार सपत्निक उनके परिजन श्री हेमनदास खोखर मिठ्ठी श्री प्रह्लाद मल चंदानी, डा ,संतोष कुमारी कागा, श्री सूमार मल प्रेमानी बहड़ाई श्री सरंगमल नानजियानी इंजीनियर श्री सतरामदास कागा कागिया अनय स्वागत के लिये खड़े थे ।

फूल मालाओं से लाद दिया ओर गुलाब फूल पंखुडियों से वर्षा की पूरे काफ़ले के साथ डा,अशोक के घर पर वशेष स्वागत से शहनाई ढोल नग़ारों गायन रंगोली से ख़ोश आमदीद हुआ विश्राम करने के बाद इंजि सारंगदास के बंगले पर लंच किया गया वहां लाताद शिक्षित वर्ग ने शिरकत की।

लोगों से वार्तालाप के बाद रात को ह़ैदराबाद से मीरपुरख़ास डा, लेखराज राठोड़ के बंगले पर डिनर के बाद रात्रि विश्राम किया! दिनांक 7 जून को सवेरे श्री नंदलाल ह़ाल दुबई पुत्र मोहनलाल तपेदार के घर पहुंचे जहां नाश्ता कर काफ़ले के साथ खारोड़ा राय मेरी आराध्य कुल देवी देवल माता के दर्शन कर पूजा अर्चना के बाद प्राचीनकाल शिव महादेव के मंदिर पहुंचे।

देश के अमन चैन की दुआ मांगी के बाद उमरकोट लंच के बाद विश्राम किया लेकिन मिलने वालों का तांता लगा रहा रात को मेरे ममेरे भाई श्री झामनदास पातालिया गांव बेहरो शरीफ़ में डिनर किया ओर वापिस उम्यकोट में रात्रि विश्राम किया! लगातार””’

भाग 2

दिनांक 8 जून को मास्टर प्रह्लाद मल के घर नाश्ता करने के बाद मेरी बहिन के ससुराल गांव मिठड़ियो भट्टी मिठ्ठी के लिये प्रस्थान किया मेरे भाणेज श्री गुलाब हमीर जेसा बेरसा को अग्रिम सूचना थी ।

उन्होंने अपने सम्सत रिश्तेदारों को सूचित कर रखा था उनकी रिहाईश से थोड़ा चंद क़दम दूर ओतारा (ओताक़) गुडाल थी मिट्टी का बना चौंरा था ओर सामने एक शामियाना लगा रखा था एक नीम का भी छायादार पेड़ था ग्रामीणों बाहर से आये मेहमानो की भारी भीड़ थी ।

मेरे साथ मेरा पुत्र युवराज कागा प्रनिसीपल एंव मेरी धर्मपत्नि थी बहुत दिनों के बाद मिलन ओर मेरी बहिन मेघू का निधन दुखदायी हृदय विदारक क्षण थे सब से ग़मग़ीन मिह़ोल में मुलाक़ात हुई ।

महिलाओं की तादाद भी भारी भरकम थी सबसे आत्मिय भेंट हुई समस्त महिलाओं के सिर पर हाथ रख उनसे दुआ मांगते शुक्रिया खदा किया दिल का बोझ ज़रा कम हुआ ।

बड़ी मन्नत के बाद रुख़्स़त चाही गयी ओर गांव झांबड़ीसर के लिये रवाना हुआ ओर चंद लम्हे गुज़ारने के बाद सांय गांव पोछांडो फांगालिया गये कहां से रात्रि वापिस उमरकोट पहुंच विश्राम किया दो दिन क्रमश:9 10 जून उमरकोट ठहरने के बाद 11जून को मेरे गांव भाडासिंधा पहुंचा परिजन परिचित पड़ोसी जन से मिल पुरानी यादें ताज़ा की ।

मेरे ताऊजी के बेटे बड़े भाई हालचंद ओर छोटे भाई आडूमल भतीज पूनम अंबकुमार सालम मनसुख गेनोमल चमन से मिला घर के हाल चाल पूछा तथा गांव के व्योवृद्ध बुज़र्ग पु्र्व बीडी मेम्बर के घर जाकर स्वास्थ्य की जानकारी प्राप्त कर कुशल मंगल पूछ आशीर्वाद लिया तथ् पश्चिम श्री ताजनदास के घर लंच किया।

कहां पर भी आत्मीयता से भारी स्वागत हुआ गांव वाले बड़ी चाहत प्रेम से मिले वहां से गांव कागिया देवल माता की धोक लगाने के बाद स्व पीथाराम कागा तह़सीलदार के घर गये वहां रात्रि भोज के बाद गांव का मुखिया श्री नांजोमल कागा की ओत़ाक़ में रिहाण (महफ़ल ) सजी ।

गांव के सारे प्रमुख लोग श्री हुए रात्रि विश्राम के बाद दूसरे दिन दिनांक 12 जून को मेरे ननिहाल गांव रड़ियालो गये वहां मेरे सगे मामा का बेटा हरचंद का स्वर्गवास हो चुका था होकर मेरे मामा बलजीमल के बेटे मास्टर भमरलाल के घर लंच किया ।

बाद में वाया चेलहार भगत किशनलाल के घर हा़ज़री देकर मिठ्ठी पहु़चे वहां पर लोग़ों ने मनमोहक ख़रमक़दम किया जो बेमिस़ाल रहा रात को डिनर श्री हेमनदास के घर किया ओर रात्रि विश्राम किया वहां रात्रि को समाज सेवी श्री डामरोमल श्री मलजीमल समाज कल्याण अधिकारी सेवानिवृत सांई संग्रामदास से भेंट हुई समाज के बारे में चर्चा हुई!
लगातार.

भाग 3

दिनांक 13 जून से अलस़ुबह़ा से गांव तुगूसर से मेरे भांजे अलू कोटड़िया से मेरे मासात अखेराज का तला से रिश्तेदार पोसरको से मेरे साढछ श्री नथूमल साली इतियां सहित पूरा परिजन एंव अन्य अनजान जान पेहचान वाले लोग उमड़ पड़े ।

अपार प्यार दुलार स्नेह देख दिल प्रफुलित हो रहा था सब लोग गले लग मिल रहे थे स्थानिय निवासी जो इर्दगिर्द से पलायन कर बसे है भारत के रस्मो-रिवाज मुआशी शिक्षा राजनीति सामाजिक रोज़गार के बारे में जानने को बेताब थे ।

दिन मेलजोल में व्यस्त रहा सांई श्री हेमनदास डा,अशोक बार बार स़िह़त के में दरयाफ़त करते रहते उनका दिल में प्यार क़ाबिले तारीफ़ था मैं भी मिल जुल कर पुरसुकून दिल था रात्रि भेज मास्तर गैनोमल धर्माणी के घर था ।

वहां धर्माणी कालोनी में मेरे मासात श्री सारंग डा,श्री डूंगरमल की चार बेटियां भी मिली घर चलने का बड़ा आग्रह किया जिसका मलाल है जो वहां था नहीं सका लोगों की भारी भीड़ थी नाईट को स्वागत कार्यक्रम श्री राणोमल के घर मकान की छत्त पर रखा गया ।

वहां स्थानिय कलाकार मूसेकार ने अपने स्वर लहर से समय बांधा डा,हरचंदराय पूर्व डी एक ओ समाज सुधारक श्री दयालदास एक्स तपेदार लाला नीलम्बर धनानी कागा अन्य अनंत संख्या में सज्जनों ने शिरक्त की रात्रि विश्राम मिठ्ठी में बिना किसी तकलुफ़ हुआ दिनांक 14 जून को डा, सोनोमल खंगारानी थरदीप संरक्षक के आवास पर बेहतरीन लज़ीज़ ज़ायक़ेदार विभिन्न व्यंजनों का लुत़्फ़ उठाया ।

पाकिस्तान के मशहूर मारूफ़ मोहम्मद ख़ां जूनेजो सिंधड़ी की खोज सिंधड़ी आमों का स्वाद चखा जो आलातरीन स्वादिष्ट मीठे शीरिन थे जो हर जगह परोसे गये मुझे जानकर ह़ेरत हुई कि किसी कुक बावर्ची की देख रेख घर की महिलायें नाना प्रकार का भोजन बनाने में प्रवीण है ।

हर दावत में कम से कम एक सौ से दो सौ मेहमान रहे होंगे वेसे वहां के उस़ूल के अनुसार नानवेज के दावत फीकी होती है लेकिन मेरी ताकीद के कारण हर दावत शाकाहारी रही ।

आम लोगों का व्यवहार मनुहार प्यार दुलार स्नेह देख दिल बाग़ बाग़ हो गया एसी यादें आजीवन भूल नहीं सकते सांय भारी मन से विदा होना पड़ा मिठ्ठी शहर खोखर मेघवाल का परम्परागत बाहूल्य है मेरी पत्नि खोखर होने से विदाई वेला का मार्मिक गीत डोरा डा कर अपने जज़्बात उदगार प्रक्ट किये ।

बड़ा नाज़ुक निर्मल ख़ुशी ग़म का वातावरण रहा मेरी कार की ड्राईविंग अकस़र डा,देवनदास राठोड़ शिशु विशेषज्ञ कर रहे थे लोटते समय ये कोट वाले रास्ते उम्रकोट पहुंचे जहां शिक्षा विद उमरकोट के प्रबुद्ध प्रैफ़ेसर व्याख्याता डाक्टर इंजनियर्स शिक्षक अन्य मुलाज़मत वालों ने उमरकोट की मशहूर होटल मेघ मल्हार में स्वागत समारोह था ।

वहां प्रसिद्ध कलाकारों ने आपनी प्रस्तुतिया़ं दी जिसमें मुस्लिम शख़स़ीयतों की तादाद ज़्यादा थी इसका मुख्य आयोजन प्रो,जयरामदास साजनदास मेरे बच्चपन के मित्र श्री चेलाराम के पुत्रों ने अहम किरदार अदा किया ।

होटल की शाही डिश ख़ालिस़ भेज का आनंद लिया मेरे साथ युवराज कागा ओर अन्य महमानों का फूल मालाओं ओढाणी सिंध की स़काफ़त अजरकों शालें ओढाकर मान सम्मान किया ।

यह गरिमामय क्षण अवस्मर्णीय रहेंगे प्रत्येक मेज़मान बडी आत्मियता से मिला उनका कितना बखान शुक्रिया अदा करें मेरे पास अलफ़ाज़ नहीं ईश्वर ख़ुश आबाद रखे रात्रि विश्राम उमरकोट श्री प्रह्लादमल की आराईश गाह पर किया
लगातार

भाग 4

दिनांक 15 जून उमरकोट में भाणेज श्री शंकरलाल पातालिया के घर नाश्ता का कार्यक्रम था थर से मिलने वालों का सिलसिला जारी था बिछुड़े जुदाई में बेताब अपने परिजन रिश्तेदारों का समाचार पूछते ठंडी आह भरते ।

किसी की आंखों में बरबस छलक आते स़ाफ़ नज़र आते आंखें पलकें भीगी ग़म का इज़हार करती थी दिन को चेलाणी कागा कालोनी परिवार के श्री शंकर लाल कागा की दावत थी ।

वहां श्री टीकमदास रामचंद्र कागा, डा,राजा कागा डा, मुकेश कागा मास्टर सुरतोमल कागा एंव अन्य कागा परिजन से भावात्मिक भेंट हुई महिलाओं बच्चियों ने फूल मालों गुलाब फूलों की बोछार कर स्वागत किया बच्चों ने बड़ी उत्सुकता भारत के लोक प्रिय प्रधान मंत्री के बारे में सवाल जवाब किये ।

सामान्य ज्ञान की जानकारी चाही जो एक होनहार का जीता जागता उदाहरण था मेरे निजी जीवन के बारे में नि:संकोच प्रशन किये बड़ी ख़ुशी हुई इस दरम्यान मेरे पिताजी के ननिहाल गांव बहड़ाई के श्री सूमारमल प्रेमाणी प्रोफ़सर दिलिप परमार सतरामदास मलजीमल लाधोमल पालहोमल भीमोमल के फ़ोन आना शुरू हो गये ।

जिन्हों ने स्वागत का आयोजन कर रखा था श्री दिलिप चेलानी परिवार के स्वागत के बाद श्री सतरामदास के घर भी स्वागत हुआ रात्रि भोजन श्री सूमारमल के घर किया बड़ी संख्या में लोगों ने आजयान किया देर रात वापिस उमरकोट लोट रात्रि विश्राम किया ।

दिनांक 16 जून को श्री खेतोमल के घर लंच के बाद वाया मीरपुरख़ास़ श्री नंदलाल कागा के घर प्रतिक्षा कर रहे रिश्तेदारों मित्रों से मिला ओर वहां मेरे भांजे श्री जीवन लाल सहायक कस्टम कमिश्नर के साथ श्री शंकरलाल से मुलाटत हुई बाद में डा,लेखराज राठोड़ हृदय रोग विशेष ज्ञय की कार में सवार होकर है़दराबाद के लिये प्रस्थान किया वहां डा,अशोक श्री हेमनदास श्री विजय फ़रसोमल प्रह्लादमल साथ थे रात्रि भोज किया।

महिलाओं में विशेषकर श्रीमति पुष्पा जी जो एक एजीओ में सक्रिय है विदेश के लगभग 50 मुल्कों का भ्रमण कर चुकी ने अपनी ओर से तमाम बेहतरिन इस्तक़िबाल किया मुझे मेरी पत्नि मेरे पुत्र युवराज को अलग अलग त़ोहफ़े सुपुर्द कर हंसी ख़ुशी अंदाज़ में अपनी अमिट छाप छोड़ी जो मेरे जीवन का यादगार क्षण है ।

उसके बाद यह लोग सारे लोग ह़ैदराबाद रैल्वे स्टेशन रुख़्स्त कर अलविदा किया रात्रि 1,30 बजे ग्रेन लाईन ट्रेन रवाना होकर लाहोर ईद के दिन दिनांक 17 जून को पहुंच एक होटल में ठहरे रात्रि विश्राम पुरसुकून किया ईद की छुट्टी होने के कारण स्टाफ़ नहीं था ।

होटल वाले ने बताया रोटी ओर एक सब्ज़ी दे सकता हूं हमने अनजाने में 8 रोटी सब्जी का आर्डर दिया के अनुसार एक बड़ी परात में 8 तंदुर की बहुत बड़ी परात जितनी आकार में विशाल बनाकर परोसी हमने बमुश्किल दो रोटी खाई ।

दूसरे दिन दिनांक 18 जून को स़ुबह नाश्ते में परांटे दही मिला ओर होटल चैक आऊट कर टेक्सी से बाग़ के लिये प्रस्थान किया वहां नियमानुसार कार्यवगही के बाद भारत भूमि पर अटारी में अपनी आमद कराकर शाम अमृतसर पहुंच एम के होटल में रुक रात को एक बजे जम्मू तवी से दिनांक 19 जून को रात्रि जोधपूर पहुंच अपने निजी वाहन से दो बजे घर चौहटन पहुंच गये दिनांक 4 जून से 1 जून तक का सफ़रनामा बड़ा ख़ुशगवार तस्लीबख़श रहा वहां की जनता अमनपसंद भाई चारा चाहती है ।

पाक यात्रा का अंतिम पड़ाव

दिनांक 4 जून से 18जून तक पाकिस्तान की निजी यात्रा पुरसुकून यादगार लम्हे दिनांक 17 जून ईद-उल-जुहा के पाक मुक़दस के रोज़ कभी बरस़ग़ीर की राजधानी (दाराअलह़ुकूमत) लाहोर में बिना धूम धड़ाके बिना शोर ग़ूल माह़ोल में गुज़री ।

होटल मालिक के मुताबिक ईद मुबारक़ के सबब मोकलें है होटल में भी कोई आवा-जाही सरगर्मी नहीं थी चाय मिल रही थी लेकिन काफ़ी का नामो-निशान नहीं खाना पीना का कोई माकूल इंतज़ाम नहीं था ।

मालिक ने अपने स्तर पर बड़ी लम्बी चोड़ी रोटी बना कर पैश की एक मात्र सब्ज़ी थी होटल में सननाटा पसरा था जबकि पाक की यात्रा के दरम्यान लाहोर का दीदार नहीं किया तो सब कुछ अधूरा होता है ।

18 जून को सवेरे नाश्ता भी सामान्य परांठे दही पर संतोष करना पड़ा अंतिम रात लाहोर में गुज़री जो हमेशा याद रखी जायेगी टेक्सी वाला बुज़ुर्ग बड़ी सफ़ेद दाढ़ी वाला सफ़ेदपोश हमदर्द ख़्यालों का नफ़ीस इंसान था बागा चौकी पहुंचे पर स्टाफ़ भी पुर ख़ुलूस़ फ़ज़ीलत वाला था अच्छा सुलूक कर रुख़स़त किया!

 

कवि साहित्यकार: डा. तरूण राय कागा

पूर्व विधायक

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