न जाने क्यों साथ वो छोड़ते रहे मेरा

न जाने क्यों साथ वो छोड़ते रहे मेरा | Ghazal

न जाने क्यों साथ वो छोड़ते रहे मेरा

( Na jane kyon sath wo chhodte rahe mera )

 

न जाने क्यों साथ वो छोड़ते रहे मेरा

मुहब्बत से दिल भरा तोड़ते रहे मेरा

 

नहीं पूछा हाले दिल भी मगर मेरा उसनें

 वो पास फ़ोन  बैठे छेड़ते रहे मेरा

 

गुलाब देते रहे प्यार से भरा उसको

क़बूल प्यार नहीं बोलते रहे मेरा

 

मिटाता मैं तो गया धीरे धीरे सब जालिम

अदूँ निशाँ देखिए  ढूढ़ते रहे मेरा

 

कभी नहीं सोचा अच्छा कहने को अपनें है

बुरा  मगर  अपनें  ही  सोचते  रहे  मेरा

 

दिया नहीं साथ ग़रीबी में आज़म अपनें ने

 तमाशा  लाचारी  का   देखते रहे मेरा

❣️

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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