Ghazal ae watan
Ghazal ae watan

ऐ वतन

( Ae watan )

 

ऐ वतन ऐ वतन ऐ वतन

रोज हम तो करेगे नमन

 

हम लड़ेगे वतन के  लिए

हाँ रहे ख़ुश सदा ये वतन

 

शबनमी हो न  नफ़रत  भरी

प्यार के गुल से महके चमन

 

देश पर आंच  आने न दो

है सभी से मेरा ये कहन

 

जंग ऐसी उदूँ  से लड़ूँ

देश के काम आये बदन

 

रोज आज़म करूं ये दुआ

हाँ रहे देश में ही अमन

 

❣️

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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