नवरात्रि पर्व ( अश्विन ) नवम दिवस
नवरात्रि पर्व ( अश्विन ) नवम दिवस
भुवाल माता के स्मरण से सब पहचान लो ।
छोड़ जगत की चिन्ता
खुद को जान ले
खुद को समझ ले
यही है सच्चाई
हम तो धीरे – धीरे छान ले ।
कौन कहाँ से आया है
यहाँ और कहाँ पर जाएगा ।
छिपे हुए इस गूढ़ तत्व को
कौन जानने पाएगा
सब झंझट तज वर्तमान पहचान ले ।
भौतिकता से बंधा हुआ सुख
बिल्कुल थोथा होता है
उसमे मुग्ध बना तू नाहक
आत्म सूखो को खोता है
जड़ – चेतन के गुण को एक न मान ले ।
जन्म मरण की बड़ी समस्या
बड़े यत्न से सुलझेगी
पर – भावो से लिप्त रहा तो
यह अधिकाधिक उलझेगी
इसे यहाँ सुलझा लेने की ठान ले ।
सबका यहाँ उत्थान – पतन
अपने से अपना होता है
कोई माल कमाता
कोई मूल सहित ही खोता है
दुर्गुण तज सदगुण का कर अवधान ।
भुवाल माता के स्मरण से सब पहचान लो ।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़)
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