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पर्यावरण | Paryavaran

पर्यावरण

( Paryavaran ) 

 

विविध जीवों का संरक्षण मान होना चाहिए।
स्वस्थ पर्यावरण का संज्ञान होना चाहिए।।
प्रकृति साम्यता रहे धरा का भी श्रृंगार हो,
वृक्षों की उपयोगिता पर ध्यान बार बार हो।
वृक्ष, प्राणवायु फल छाया लकड़ियां दे रहे,
उसके बदले में हम उनकी संख्या न्यून कर रहे।
‘दस पुत्र समो द्रुम:’ यह ज्ञान होना चाहिए।।
स्वस्थ पर्यावरण ०
विविध जीवों का संरक्षण स्वच्छ नदी नार हो,
झील पोखर कुंए आदि से भी बहुत प्यार हो।
विषाक्त जल प्रवाह रोकने की सफल युक्ति हो,
स्वच्छता विचारों में विकार से विमुक्ति हो।
पर्यावरणविदों का सम्मान होना चाहिए।।
स्वस्थ पर्यावरण
धुआं में मिले हुए गरल उंचाई चढ़ रहे,
वैश्विक उष्णता बढ़ी ओजोन छिद्र बढ़ रहे।
मृदा का पोषण अभ्योजनि भी महान कार्य है,
तंत्र पारिस्थितिकी संरक्षण सदा अपरिहार्य है।
प्रदूषित व्यवहारों का अवसान होना चाहिए।।
स्वस्थ पर्यावरण ०
सामाजिक पर्यावरण में संतुलन नितान्त है।
स्वच्छ स्वस्थ सहजता, ही श्रेष्ठता सिद्धांत है।
‘जिओ और जीने दो’ विचार चित्त धारिए,
प्रकृति तो सबकी है यह ध्येय भी विचारिए।
ज्ञान दीप शेष दीप्तमान होना चाहिए।।
स्वस्थ पर्यावरण ०

 

लेखक: शेषमणि शर्मा”इलाहाबादी”
प्रा०वि०-नक्कूपुर, वि०खं०-छानबे, जनपद
मीरजापुर ( उत्तर प्रदेश )

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