पावन दिवस है दीपावली
दीपावली का दिन बहुत ही पवन और पवित्र है। इस दिन हर जाती धर्म के लोग इस त्यौहार को अपने अपने तरीके और उत्साह के साथ मानते है।
सभी का मानना है की दीप जलाकर सिर्फ खुशीयों को जाहिर करे और भाईचारे तथा स्नेह प्रेम की भवानाओं की ज्योत हर एक इन्सान के दिलमें और घरों में दीप की तरह जलायें और अपनी ख़ुशी इजहार करें।
साथीयों अनेको मान्यताएँ है इस त्यौहार को मानाने की परन्तु सभी का उद्देश्य सिर्फ एक ही है की हम अपने परिवार और अपने समाज की खुशीयों का उत्सव मनाएं साथ ही अमन शांति और भाईचारे के साथ आपस में मिल जुलकर रहे।
जिस तरह की दीया की रोशनी सभी को अंधकार से बहार निकलकर प्रकाश देती है, वैसे ही सभी लोगों को अपनी सिर्फ खुशियाँ ही लोगों को बताना चाहिए न की अपने गमों को।
शायद आपको पता होगा की दीपक खुद को जलाकर अपने को कष्ट में रखकर सभी को रोशनी देता है न की कष्ट का एहसास करता है। इसलिए हम सबको सिर्फ अपने निर्मल भावों से दीपक जलाकर खुशी को बताना चाहिए।
जिससे हर जीव प्राणी और इंसानो को जीवन में स्नेह प्यार और खुशियाँ आदि मिले। वैसे तो राक्षस राज्य का अंत करके श्रीराम जानकी आयोध्या जी पहुंचे थे, और जैनों के चौबीसवे तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी का निर्माण दिवस है और भी अनेक … है।
इसलिए इसी त्यौहार पर दीपक जलाकर खुशियाँ और प्रकाश आदि बिखेरते है इस कारण इसका नाम दीपावली पड़ा।।
जय जिनेंद्र
संजय जैन “बीना” मुंबई