आरंभ चैरिटेबल फाउंडेशन की स्मारिका” आरंभ उत्कर्ष ” के विमोचन का कार्यक्रम व “पावस काव्य गोष्ठी” सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।

संस्थान की अध्यक्ष अनुपमा अनुश्री सहित विशिष्ट अतिथि श्यामा गुप्ता , शेफालिका श्रीवास्तव और मणि सक्सेना की उपस्थिति में विमोचन किया गया।

इस स्मारिका “आरंभ उत्कर्ष” में आरंभ फाउंडेशन के विविध आयामी सांस्कृतिक /साहित्यिक/ समाजसेवी कार्यक्रमों ,ऑफलाइन/ ऑनलाइन प्रतियोगिताओं व गतिविधियों की झलक के साथ आरंभ टीम के रचनाकारों की गद्य -पद्य रचनाएंँ और प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में आरंभ की गतिविधियों की कवरेज शामिल है ।
साथ ही ” पावस काव्य गोष्ठी “ का भी आयोजन किया गया था। सभी कवियों ने पावस ऋतु पर सुंदर काव्य पाठ किया। वरिष्ठ कवियत्री व बाल साहित्यकार श्यामा गुप्ता, दर्शना ने पढ़ा-

रिमझिम -रिमझिम घट
प्रेम सुधा बरसाएँ।
लगे सुहानी आज धरा ने,
मन भर मोती पाये।।

मधुलिका सक्सैना की पंक्तियांँ थीं –
मधुर याद संग लाय
सावन की बूँदनियाँ,
झूलों की झोंकों की
मीठी सी स्मृतियाँ।

शेफालिका जी ने घिरे हुए बादलों पर सुनाया –
देख सखी पावस ऋतु आयी
नीले नीले अंबर में
घन घोर घटाऐं घिर आईं
रिमझिम रिमझिम झड़ी लगाईं।

अनुपमा अनुश्री की पंक्तियांँ थीं –
मेघ और धरा के
साथ का /यह पुनीत कर्म
बिखर जाता है/ प्रकृति में
कि आसमां/ जैसे
अपने दूतों को/ भेजकर
दुआओं सा/ बरस पड़ा ज़मी पर।

बिंदु त्रिपाठी की पंक्तियांँ –
नाचे मोर पपीहा बोले,
कोयल ने कजरी है गायी ,
देख सखी पावस ऋतु आयी ।

शालू अवस्थी ने सावन पर पंक्तियांँ पढीं –
सावन आया, देखो सावन आया,
मेघा ने ,सतरंगी इंद्र धनुष बनाया।
देखो गीत खुशी के लाया,
झूमता गाता सावन आया।

निरुपमा खरे की पंक्तियांँ थीं-
नन्ही- नन्ही ये बूंदें,
भीगा- भीगा ये मौसम,
बन जाता है यादों का मौसम।
कार्यक्रम का संचालन निरुपमा खरे द्वारा और आभार प्रदर्शन शालू अवस्थी द्वारा किया गया।

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