Rajasthani bhasha kavita

राजस्थान स्थापना दिवस

राजस्थान स्थापना दिवस

हमारा प्यारा राजस्थान, हमारा प्यारा राजस्थान ।
हरे भरें खेत खलिहान मरुस्थल की यह भूमि है ।
वीर- सपूतों के बलिदानों की यह पावन भूमि है ।
रंग- बिरंगी धरा हमारी हर कण में खुशियाँ छाई है ।
वेदों की ध्वनि, ऋषियों की वाणी यहाँ विकसाईं है ।
मातृ भूमि जन्म भूमि के कण- कण में सौरभ फैली है ।
सर्वत्र भूमि के संस्कारों से खुशियाँ यहाँ अपार फैली हैं ।
राजस्थान के व्यक्ति देखों आज विश्व भर में छायें है ।
अपनी काबिलियत प्रतिभा से वह आज मन भायें है ।
भाषा खान- पान वेशभूषा को सब समाहित करते है ।
विविधता में एकता को बसा सब मिलजूल रहते है ।
कुछ खट्टी मिट्ठी यादें! कुछ सुनहरे पलों की भूमि है ।
नई ऊर्जा नई उमंग के सुखद सुनहरे भविष्य की भूमि है ।
प्रेम सकारात्मकता और मैत्री के गीत गुनगुनातें हैं ।
सब मिल- जुल मैत्री का हाथ बढ़ा मिलाते चलते है ।
एक- दूसरे का सहारा बन काफीला आगे बढ़ाते है ।
हर सूरज की किरणों के साथ हँसी- खुशी चलते है ।
हर पल सुनेहरा खुशी का दिन बनाते चलते है ।
सुखद शुभ भविष्य उच्च सार्थक जीवन बनाते है ।
हम सब मिल- जुलकर एक साथ रहतें है ।
जिन्दगी को खुशहाल समृद्ध बनातें रहतें है ।
तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्यों व संतों की जन्म- निर्वाण भूमि है ।
आत्मा के “प्रदीप “पाने को हम निरन्तर गतिशील है ।
हमारा प्यारा राजस्थान, हमारा प्यारा राजस्थान ।

प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़)

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