सब के फुलईले चल

सब के फुलईले चल

सब के फुलईले चल

सब के फुलईले चलऽ
धुल खुशी के उडईले चलऽ
कब, कहवा, कईसे रात हो जाई
जब ,जईसे ,जहवा जे मिले
प्यार् के भेट ओके बढईले चलऽ

का टिस, का रिस,
का खिस, का विस
दिल सगरो के जित
ना केहु के कबो दबईले चलऽ
प्यार् के ढिबरी जलईले चलऽ

रचनाकार – उदय शंकर “प्रसाद”
[ पुव सहायक प्रोफेसर (फ्रेंच विभाग), तमिलनाडु ]
एवं वर्तमान अधिवक्ता ( सिविल कोर्ट , बगहा)
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बुढ़ के फरियाद | Budh ke Fariyad

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