“अप्रैल फूल” बनाना पड़ा महंगा
मजाक की अपनी एक सीमा होती है। कुछ पल के लिए उसे बर्दाश्त किया जा सकता है जब तक की किसी को शारीरिक/मानसिक या आर्थिक हानि ना पहुँचे। यादों के झरोखों से एक किस्सा साझा कर रहा हूँ। यह उन दिनों की बात है जब हम स्कूल में सिक्स्थ स्टैंडर्ड में पढ़ते थे। इत्तेफाक से…