चाहे काँटे मिले या कि फूल
चाहे काँटे मिले या कि फूल चाहे काँटे मिले या कि फूल मुस्कुरा के तू कर ले क़ुबूल झूट को सच कहा ही नहीं अपने तो कुछ हैं ऐसे उसूल हाल ऐसा हुआ हिज्र में जर्द आँखें है चेहरा मलूल आस फूलों की है किसलिए बोये हैं आपने जब बबूल …
चाहे काँटे मिले या कि फूल चाहे काँटे मिले या कि फूल मुस्कुरा के तू कर ले क़ुबूल झूट को सच कहा ही नहीं अपने तो कुछ हैं ऐसे उसूल हाल ऐसा हुआ हिज्र में जर्द आँखें है चेहरा मलूल आस फूलों की है किसलिए बोये हैं आपने जब बबूल …