जिंदगी | Zindagi

जिंदगी | Zindagi

जिंदगी ( Zindagi ) जिंदगी की भाग दौड़ में कब जिंदगी की सुबह और शाम हो गई पता ही नहीं चला। कल तक जिन मैदान में खेला करते थे कब वो मैदानों मैं बड़े-बड़े मॉल बन गए ‌ पता ही नहीं चला । कब अपने सपनों के लिए गांव शहर देश छोड़ दिया माता-पिता को…

जिंदगी

जिंदगी

जिंदगी ** जिंदगी की समझ, जिंदगी से समझ। जिंदगी से उलझ, जिंदगी से सुलझ। अबुझ है इसकी पहेली, तेरी मेरी ये सहेली। न मिलती यह सस्ती, ऊंची है तेरी हस्ती। कभी किया करो सख्ती, जो चाहो , चलती रहे कश्ती; संभालो कायदे से गृहस्थी। धीरज धैर्य संतोष रखो, अनावश्यक लोभ से दूर रहो। बातें कम,…

लफ़्ज़ों में भावनाओं की अभिव्यक्ति

कुछ लफ़्ज़ों में भावनाओं की अभिव्यक्ति

कई कई अर्थ लिए कुछ लफ़्ज़ों में भावनाओं की अभिव्यक्ति 1.   जुबाँ है पर आवाज नहीं,         और खामोशी में भी बातें हैं !         जुबाँ हो के भी गूंगी हो गई,         खामोश हो सब कुछ कर गई !! 2.   यूँ तो जिंदगी है        …