दिल लगाने की यहां सबको सजा मिलती है

दिल लगाने की यहां सबको सजा मिलती है

दिल लगाने की यहां सबको सजा मिलती है     दिल लगाने की यहां सबको सजा मिलती  है। दिल लरज़ता है कभी रूह भी यहां तङफती है ।।   कौन रूसवा ना हुआ आकर यहां गलियों में। पंक में ही तो मुहब्बत की कली खिलती है।।   नाम थकने का न लेती है ज़माने में…