नफ़रत के ही देखें मंजर बहुत है!

नफ़रत के ही देखें मंजर बहुत है!

नफ़रत के ही देखें मंजर बहुत है!     नफ़रत के ही देखें मंजर बहुत है! मुहब्बत से ही दिल बंजर बहुत है   मुहब्बत का दिया था फूल जिसको मारे नफ़रत के ही पत्थर बहुत है   किनारे टूटे है पानी के  ऐसे हुऐ सब खेत वो बंजर बहुत है   किताबे होनी थी…