न कर फरियाद दुनिया से

न कर फरियाद दुनिया से

न कर फरियाद दुनिया से   न कर फरियाद दुनिया से सहारे भी नहीं मिलते। कभी मझधार में आकर किनारे भी नहीं मिलते।।   गुलो-गुलजार की पहले सी वो रौनक कहां है अब ? यूं मौसम ए ख़िजां में अब बहारें भी नहीं मिलते ।।   यहां जीवन सभी का ही हमें वीरां बहुत लगता।…