फूल तितली सनम हुए बे-रंग
फूल तितली सनम हुए बे-रंग क़ाफ़िया – ए स्वर की बंदिश रदीफ़ – बे-रंग वज़्न – 2122 1212 22 फूल तितली सनम हुए बे-रंग इंद्रधनुषी छटा दिखे बे-रंग तेरी खुशबू जो ज़िंदगी से गई रात-दिन मेरे हो गए बे-रंग ये मुहब्बत सज़ा बनी है आज दौर-ए-हिज़्राँ लगे मुझे बे-रंग याद जब तेरी आती है मुझको…

