रोज़ मुझको हिचकियां आती रही!
रोज़ मुझको हिचकियां आती रही! रोज़ मुझको हिचकियां आती रही! यादों की ही सिसकियां आती रही बात बिगड़ी उससे ऐसी गुफ़्तगू में रोज दिल में दूरियां आती रही काम कोई भी हल नहीं मेरा हुआ है रुलाने मजबूरियां आती रही हार मैंनें भी नहीं मानी लड़ने में दुश्मनों की धमकियां…