साल गया है
साल गया है बातें हमारी फिर से वो टाल गया है। बस इसी कशमकश में ये भी साल गया है।। जिसने भरे हैं पेट सबके बहाकर करके स्वेद, उसको ही लोग कह रहे कंगाल गया है।। बीमारियां भी एक हों तो गिनाऊं हुजूर,। शायद ही कोई यहां से कोई खुशहाल गया…

साल गया है बातें हमारी फिर से वो टाल गया है। बस इसी कशमकश में ये भी साल गया है।। जिसने भरे हैं पेट सबके बहाकर करके स्वेद, उसको ही लोग कह रहे कंगाल गया है।। बीमारियां भी एक हों तो गिनाऊं हुजूर,। शायद ही कोई यहां से कोई खुशहाल गया…