सूरज के क़ज़ा होते ही

सूरज के क़ज़ा होते ही | Suraj ke qaza hote hi | Ghazal

सूरज के क़ज़ा होते ही ( Suraj ke qaza hote hi )   सूरज के क़ज़ा होते ही चाँद जगमगा उठा होगा मगर हर घर, हर सेहर सो चूका होगा   में थक चूका हूँ इस आबरू के सिलसिले से ये मेरी बेबसी है की यहाँ एक और हादसा होगा   ज़रा देख हर आँखों…