हमें आपसे | Ghazal Hame Aapse

हमें आपसे | Ghazal Hame Aapse

हमें आपसे  ( Hame Aapse ) हमें आपसे अब शिक़ायत नही है । मगर अब किसी से मुहब्बत नही है ।।१ झुके सिर हमारा किसी नाज़नी पे । अभी इस जहाँ में वो सूरत नहीं है ।।२ जिसे चाहने में भुलाया खुदी को । वही आज कहता हकीकत नही है ।।३ कसम आज अपनी उसे…