देश आवाज अब दें रहा
देश आवाज अब दें रहा देश आवाज अब दें रहा खून अपना बहा दो कभी मुल्क है मुश्किलों से घिरा जान सब की बचा लो अभी इस वतन से अदूँ दो भगा आग है इक दिलों में लगी देश भर में अमन ही रहे रोशनी भी जलेगी कभी किस तरह…
देश आवाज अब दें रहा देश आवाज अब दें रहा खून अपना बहा दो कभी मुल्क है मुश्किलों से घिरा जान सब की बचा लो अभी इस वतन से अदूँ दो भगा आग है इक दिलों में लगी देश भर में अमन ही रहे रोशनी भी जलेगी कभी किस तरह…
रोज़ हर दिल में मुहब्बत ढूंढ़ता हूँ नफ़रतों में वो नज़ारत ढूंढ़ता हूँ! रोज़ हर दिल में मुहब्बत ढूंढ़ता हूँ हर गली में ही भटकता हूँ सारा दिन जिंदगी की रोज़ राहत ढूंढ़ता हूँ पर नहीं मिलती किसी में ही यहां तो हर किसी में अच्छी आदत ढूंढ़ता हूँ खो…
कर कोई बावफ़ा नहीं होता कर कोई बावफ़ा नहीं होता प्यार से हर भरा नहीं होता मैं नहीं जीता जीवन फ़िर तन्हा वो अगर जो जुदा नहीं होता चाह उसकी न दिल फ़िर रखता जीस्त में वो मिला नहीं होता आरजू फ़िर न होती मिलनें की शहर उसके गया नहीं…
भरोसा क्या बहारों का ( Bharosa Kya Baharon Ka ) गुलों को खुद खिला लेना भरोसा क्या बहारों का। खुदी से दोस्ती करना भरोसा क्या है यारों का।। नहीं रौशन फिजा होती कभी भी आजमा लेना। है चंदा आसमां में तो नज़ारा क्या सितारों का।। करो उम्मीद जब भी तुम हमेशा…
लग रहा जैसे हो सजा जीवन लग रहा जैसे हो सजा जीवन! इस कदर ग़म से भर गया जीवन जी न पाया कभी ख़ुशी के पल ग़म की भट्टी में यूँ जला जीवन एक पल की ख़ुशी की चाहत में बस भटकता रहा मेरा जीवन ग़म ही ग़म हैं मेरी…
होता उसका अब नहीं दीदार है होता उसका अब नहीं दीदार है राहों में मेरी खड़ी दीदार है बोलता मुझसे नहीं वो आजकल वो मुझे लगता खफ़ा ही यार है राह में मेरी किसी के आने की मेरी आंखें नींद से बेदार है प्यार का क्या बोलेगा…
यहां रह जाती यादें बाकि बंदा चला जाता फिर , यहां रह जाती यादें बाकि। तब छौङ करके पीछे वो ,अपने सभी वादे बाकि।। किस-किस से जाने उसने की होगी तब जो फरमाईश। पङी रह गई सारी मन मे उसकी वो फरियादें बाकि।। जो कुछ नहीं कर पाया था तब जिंदगी में…
आती रौनक बस तेरे आने से आती रौनक बस तेरे आने से। गुल खिल जाते तेरे मुस्काने से।। करते अटखेली गालों से गेसू । कलि खिलती ज्यूं भंवर के आने से।। छायी खुशबू सी गुलशन में सारे। सब महके हैं उनके महकाने से।। गहराई में थे जो दिल के अरमां।…
वक्त कुछ इस तरह गुजारा है वक्त कुछ इस तरह गुजारा है । दर्द जीने का इक सहारा है ।। जो नही हम जुबां से कह पाए। आंसुओं से किया इशारा है ।। जिंदगी में सभी से जीता जो । बाद तक़दीर से वो हारा है ।। सामने हम कभी …
बढ़ती बेरोज़गारी रोज़ ही देखो बढ़ती बेरोज़गारी क़त्ल मुफ़लिस के करती बेरोज़गारी सोता भूखे पेट नहीं मासूम बच्चा जो नहीं इतनी होती बेरोज़गारी आटा कैसे मैं ख़रीदूँगा भला अब बढ़ गयी यारों इतनी बेरोज़गारी कैसे दूँ बिजली का बिल मैं भला ये दिल में ही आहें भरती बेरोज़गारी बेटी…