
होता उसका अब नहीं दीदार है
होता उसका अब नहीं दीदार है
राहों में मेरी खड़ी दीदार है
बोलता मुझसे नहीं वो आजकल
वो मुझे लगता खफ़ा ही यार है
राह में मेरी किसी के आने की
मेरी आंखें नींद से बेदार है
प्यार का क्या बोलेगा वो शब्द ही
बोलता वो रोज़ बस खार है
जिंदगी में वक़्त तन्हा कट रहा
की नहीं कोई अपना दिलदार है
इसलिये दिल भर गया मेरा ग़म से
वो वफ़ा से कर गया इंकार है
फूल मुरझाया है आज़म प्यार का
लब पे उसके प्यार कब इक़रार है