ज़ुल्मत से ये रूह डर रहा है | Zulamt se ye rooh dar raha hai | Ghazal
ज़ुल्मत से ये रूह डर रहा है ( Zulamt se ye rooh dar raha hai ) ❄️ ज़ुल्मत से ये रूह डर रहा है ख्वाब मेरे शौक़ से उतर रहा है ❄️ वही नदिना जी रहा है मुझमें जो मुझे हर रोज मार रहा है ❄️ नचाहते हुए तुझे मैंने चाहा है मेरी चाहत…