आज़म नैय्यर की ग़ज़लें | Aazam Nayyar Poetry
फूल बनके मुझपे बिखरती है फूल बनके मुझपे बिखरती हैरात भर यूं सांसें महकती है शरबती है बहुत निगाहें जोदेखकर सांसें ही मचलती है देखती है निगाह भरके हीवो नहीं मुझसे बात करती है डर रहा दिल मगर बहुत मेरारात भर आंख अब फड़कती है हाँ ख़ुशी के लिए यहाँ हर पलजिंदगी रोज़ ही तड़फती…