आज़म नैय्यर की ग़ज़लें | Aazam Nayyar Poetry
क्या लिखूं मैं शाइरी में क्या लिखूं मैं शाइरी मेंदर्द आंसू ज़िंदगी में वो नज़र आया नहीं हैखूब ढूँढ़ा हर गली में भूल जा तू याद उसकीरख नहीं आँखें नमी में इस कदर बेरोज़गारीज़ीस्त गुज़रे मुफलिसी में हाथ उससे तू मिला मतहै दग़ा उस दोस्ती में दोस्त आज़म का ज़रा बनकुछ न रक्खा दुश्मनी में…