मुहब्बत की बस ये कमाई रही

मुहब्बत की बस ये कमाई रही | Amit Ahad Ki Ghazal

मुहब्बत की बस ये कमाई रही ( Muhabbat ki bas ye kamai rahi )     मुहब्बत की बस ये कमाई रही मुकद्दर में अपने जुदाई रही   बुरे लोगों से दूर हम तो रहे शरीफों से बस आशनाई रही   बहन की ये राखी का देखो कमाल सदा मुस्कुराती कलाई रही   ग़लत काम…