Amit ki Ghazal

अमित की ग़ज़ल | Amit ki Ghazal

अमित की ग़ज़ल ( Amit ki GHazal )   साथ मेरे चली है ग़ज़ल ज़िंदगी भर कही है ग़ज़ल गुफ़्तगू रोज़ करती रही दिलरुबा सी लगी है ग़ज़ल ग़ैर का दुख भी अपना लगे मुझमें शायद बची है ग़ज़ल कैसे कह दूँ मैं तन्हा रहा ? साथ मेरे रही है ग़ज़ल ज़हनो दिल से जो…