बस आज बस | Bas Aaj
बस आज बस ( Bas aaj bas ) जद्दोजहद दुश्वारियां कुछ कश्मकश बस आज बस मैं गुनगुनाना चाहती बजने दो कोई साज़ बस। वो फ़िक्र रंजो गम ज़फा तन्हाइयों की बात को तुम छोड़ दो जो हैं ख़फा रहने दो अब नाराज़ बस। हो गुफ्तगू तो बात कुछ लग जाती है उनको बुरी हमने…