जेठ की गर्मी | Chhand jeth ki garmi
जेठ की गर्मी ( Jeth ki garmi ) मनहरण घनाक्षरी चिलचिलाती धूप में, अंगारे बरस रहे। जेठ की दुपहरी में, बाहर ना जाइये। गर्मी से बेहाल सब, सूरज उगले आग। तप रही धरा सारी, खुद को बचाइये। त्राहि-त्राहि मच रही, प्रचंड गर्मी की मार। नींबू पानी शरबत, सबको पिलाइये। ठंडी…