दे सहारा जिंदगी भर इस अभागा के लिए | De sahara poem
दे सहारा जिंदगी भर इस अभागा के लिए ( De sahare jindagi bhar is bhaga ke liye ) दे सहारा जिंदगी भर इस अभागा के लिए अब किसी को भेज दे रब इस तन्हा के लिए नफ़रतों की लग रही है धूप मुझको ही बहुत प्यार की बैठूं जिधर मैं भी छाया…