Desh Bhakti Kavita

माँ का कर्ज चुकाना है | Desh Bhakti Kavita

माँ का कर्ज चुकाना है ( Maa ka karz chukana hai )   सभी भारतीय आज एक हो जाना, उग्रवाद हम को जड़ से ही मिटाना। इन दुश्मनों को अब धूल है चटाना, माँ वसुंधरा का कर्ज हमें है चुकाना।। देश के वीरों ने अपने प्राण गवाएँ है, आंधी तूफ़ान बारिश को भी सहे है।…

गणतंत्र दिवस

India Republic Day Kavita | गणतंत्र दिवस

गणतंत्र दिवस ( India Republic Day )   भारत माता के मस्तक पर, रोली अक्षत चंदन की। संविधान के पावन पर्व पर, वंदन और अभिनंदन की।   वर्षों के तप और धैर्य से, वीरों के लहू और शौर्य से, माताओं के जिन पुत्रों ने, चलना सही न सीखा था, अंग्रेजों से लड़ लड़ कर, ये…

रहे तन-मन सदा अपना वतन के वास्ते जग में

Desbhakti Kavita -रहे तन-मन सदा अपना वतन के वास्ते जग में

रहे तन-मन सदा अपना वतन के वास्ते जग में ( Rahe Tan-Man Sada Apana Watan Ke Waste Jag Mein )   रहे  तन-मन  सदा अपनावतन के वास्ते जग में। बहारें  खुद  चली आती  चमन के वास्ते जग में।।   उसी  को थाम के  चलते वही रहता दिलों में है। तिरंगा पास में रखते कफ़न के…