गणतंत्र दिवस
( India Republic Day )
भारत माता के मस्तक पर,
रोली अक्षत चंदन की।
संविधान के पावन पर्व पर,
वंदन और अभिनंदन की।
वर्षों के तप और धैर्य से,
वीरों के लहू और शौर्य से,
माताओं के जिन पुत्रों ने,
चलना सही न सीखा था,
अंग्रेजों से लड़ लड़ कर,
ये युद्ध उन्होंने जीता था।
सांसे भी अपनी थी लेकिन,
लेने का अधिकार न था।
प्यार तो था अपनी माता से,
गोदी का अधिकार न था।
अपने घर और अपने देश में,
अपनी माटी अपने वेश में,
खुली हवा में सांसे लेना,
अनुभव आज ये हो पाया,
लालकिले पर आजादी का,
आज तिरंगा फहराया।
अपने देश में अपनेपन को,
अपनी धरती अपने गगन को,
माता के आंचल को वंदन,
कोटि कोटि उसको अभिनंदन।।
रचना – सीमा मिश्रा (स. अ.)
उ. प्रा.वि. काजीखेड़ा
खजुहा फतेहपुर
यह भी पढ़ें :