Aagon mein kavita

आगों में | Aagon mein kavita

आगों में ( Aagon mein )   कभी  तानों  में  कभी  रागों  में । हम तो उलझे ये गुना भागों में ।। आँधियों से बुझे नहीं दीपक । तेल था ही नहीं चिरागों में ।। वक़्त में सील नहीं पाया कपड़ा । लड़ाई  छिड़  रही  थी  धागें में ।। तेज  जेहन  था  पर रहे पीछे…

Dr. Kaushal Kishore Srivastava Poetry

लगे | Dr. Kaushal Kishore Srivastava Poetry

लगे ( Lage )   जड़ जगाने में जिनको जमाना लगा । उन दरख्तों को पल में गिराने लगे ।।   उनकी इतनी हवस कि खुदा क्या करे ? सारे दुनिया के भी कम खजाने लगे ।।   दफन खुद में ही अब शख्श होने लगे । ताले  खुद  ही  जुवा  पे लगाने लगे ।।…