Bewafa shayari | ऐसा रोज़ मैं सिलसिला देखता हूँ
ऐसा रोज़ मैं सिलसिला देखता हूँ ( Aisa roz main silsila dekhta hoon ) ऐसा रोज़ मैं सिलसिला देखता हूँ ख़ुशी का बहुत रास्ता देखता हूँ बहारों में बू बेवफ़ाई की महके वफ़ा का मैं मौसम ख़फ़ा देखता हूँ नज़र आती है बेवफ़ा क्यों वो सूरत जब भी मैं ये आईना देखता …