आँखों से पर्दा को हटा | Ghazal Aankhon se Parda ko Hata
आँखों से पर्दा को हटा ( Aankhon se parda ko hata ) मेरी साँसों के धारा से उभरता हुआ, फनकारी देख आँखों से पर्दा को हटा और अपना तरफदारी देख ऐ सख्स, तू इल्म-ए-उरूज़ देख, मेरी मुहब्बत न देख तुझे है गुरूर खुद पर ज़रा सा तो मेरी कलमकारी देख मुहब्बत में…