Ghazal jhooth gharon par kaabij tha

झूठ घरों पर काबिज़ था | Jhooth Shayari

झूठ घरों पर काबिज़ था ( Jhooth gharon par kaabij tha )     झूठ घरों पर काबिज़ था करना यूँ नाजाइज़ था   साथ न दे वो मुश्किल में रब अपना तो हाफ़िज़ था   झूठ फ़रेबी था दिल से समझा जिसको वाइज़ था   चाहे  वो जो काम ग़लत मंजूर न वो हरगिज़…