Ghazal mere darmiyan

मेरे दरमियाँ | Ghazal mere darmiyan

मेरे दरमियाँ ( Mere darmiyan )     कहाँ वो बैठा मेरे दरमियाँ  और उसी से मैं करता बातें बयाँ और   नहीं पहली थमी है यादों की टीस लगी है ख़ूब मुझको हिचकियाँ और   वफ़ाओ में नहीं कर तू दग़ा यूं सनम मेरे यहाँ देखो मकाँ और   मिली राहत ग़मों से क्या…