Ghazal mere darmiyan
Ghazal mere darmiyan

मेरे दरमियाँ

( Mere darmiyan )

 

 

कहाँ वो बैठा मेरे दरमियाँ  और

उसी से मैं करता बातें बयाँ और

 

नहीं पहली थमी है यादों की टीस

लगी है ख़ूब मुझको हिचकियाँ और

 

वफ़ाओ में नहीं कर तू दग़ा यूं

सनम मेरे यहाँ देखो मकाँ और

 

मिली राहत ग़मों से क्या मुझे है

लगी ग़म की यहाँ तो ख़िज़ा और

 

तड़फे मेरी तरह ख़ुशी को तू हमेशा

रहे जाकर कही भी तू जहाँ और

 

मुहब्बत से मिला दे मेरी तू अब

ख़ुदाया तू  न ले यूं इम्तिहाँ  और

 

हुआ ओझल कहीं चेहरा हंसी वो

उसे ढूंढ़ू भला आज़म कहाँ और

❣️

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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