साथ में कोई नहीं मेरे चला है

Ghazal | साथ में कोई नहीं मेरे चला है

साथ में कोई नहीं मेरे चला है ( Saath Mein Koi Nahi Mere Chala Hai )   साथ   में  कोई  नहीं  मेरे  चला  है दुश्मनों से ही आज़म तन्हा लड़ा है   प्यार के मुझको मिले मरहम नहीं थें अपनों से ही जख़्म बस मिलता रहा है   मैं  ख़ुशी  से  मुस्कुरा  पाया  नहीं  हूँ…